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________________ २ शीलोपदेशमाला. संसारने विषे रुचि उत्पन्न करनारा शिवरमणीना मस्तके रही स्थिर छाने देदीप्यमान शोजा पाम्या; ते श्री शांतिनाथ जगवान कल्याने अर्थे थाई ॥ २॥ शिव श्रियो रूपमनन्यरूपं, ज्ञानात्मदर्श परिभाव्य जज्ञे ॥ यशैशवात्तन्मयमानसो यः, स नेमिनाथः शिवतातिरस्तु ॥३॥ अर्थ - जे जगवान शिवरमणीनुं अलौकिक सौंदर्य ज्ञानरूप दर्पणमां जोई वाल्यावस्थाथीज तेने विषे आसक्त थया, ते श्री नेमिनाथ जगवान मंगलने था. ॥ ३ ॥ जावा अनेकाः प्रतिबिंब्य यस्य, ज्ञानेऽविबाधं दधिरे निवासम् ॥ फणानिनाः सप्त नयाश्च तस्थुस्त्यक्त्वा रिपुत्वं स शिवाय पार्श्वः ४ अर्थ - जे जगवानना ज्ञानमां अनेक जावो प्रतिबिंब पामीने निराबाधपणे ह्या बे. वली जेमने विषे शेषनागना सात फणासरखा सात नय पण परस्परमा रहेलो विरोध त्यजी दइने रह्या छे, ते श्री पार्श्वनाथ जगवान कल्याणने अर्थे थाउं ॥ ४ ॥ यस्मिनेि गर्नगतेऽपि पित्रोः श्रीः सर्वतोऽजायत वर्धमाना ॥ सिदार्थसूनुश्वरमप्रभुम, सिदार्थसार्थं स दृढं विदध्यात् ॥ ५ ॥ अर्थ- जे जगवान गर्नमां आवे बते तेमना माता पितानी लक्ष्मी दिवसे दिवसे वृद्धि पामी, ते सिद्धार्थ राजाना पुत्र चरम तीर्थंकर श्री वईमान स्वामी, मने दृढ एवा सिद्ध अर्थना समूहवालो करो. अर्थात् म्हारा सर्व कार्य निश्चयथी सिद्ध करो. ॥ ८ ॥ ( वंशस्थ वृत्तम् ) जयंतु ते श्रीगुरवः कलावतां, जडोऽपि येषां करसंगमान्नरः ॥ रत्नेषु चंशेत्पलवडुरि स्थितिं समश्नुते नाशितदोषडुर्दशः ॥ ६ ॥ अर्थ-जेम चंद्रकांतमणि जम बतां पण सोलकलाना धारक चंद्रना किरणना स्पर्शची पोताना दोषने दूर करीने रोमां श्रेष्ठपद मेलवे बे, तेमज अनेक कलाना धारक जे सद्गुरुना हस्तना अवलंबनथी जड पुरुष
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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