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एकवचन
अनेकवचन प्रथमा तरुणि (५. १४.)
तरंगिणीउ (१. ३१.) रिद्धी (५. ६६.)
-णारिउ (३. ७५.) भडारी (५. ७५.)
कुमारिउ (५. १७९.) द्वितीया महि (५. ९३.)
जणदिहिउ (५. ८६.) अवक्खडी (७. ७१.) गाहिणीउ (६. १३२.) तृतीया घरिणिए (५. १५७.) विरहंतिहि (५. ३१.)
विलासिणिआए (५. १२१.) पंचमी [तरुणिहे]
तिरुणिहु] चतुर्थी-षष्ठी महएविहे (३. ४८.) पाणियहारिहु (६. १११.)
पुत्तिर्हि (५.१०८.) भूमिहिं (५.२२८.) सप्तमी पहरंतिहिं (५. १६२.) याविहिं (५. ४५.) मुट्ठिए (५. २८७.)
कामिणिहिं (१. १२८.) सिद्धिहि (७.२५.) रयणिहे (३.११४.)
तुंगिहे (३. ११६.).. संबोधन माइ (३.१०७.)
तिरुणिहो] पंचालि (३. १०९.)
२. सर्वनामरूप ६५३. प्रथमपुरुषवाचक सर्वनामः
एकवचन प्रथमा हउँ (२. २१८.) मइ (२. १७५.) [अम्हे] अम्हइ (२. ५१.) द्वितीया मइ (१.२.) मई(३.६४.) मं (११.११.) [अम्हे,अम्हह तृतीया मई (२. १७१) मह (१ ११६.) [अम्हेहिं] अम्हहिं (६.१४०.)
मए (क. १६६.) पंचमी महु (३. १६.) [मझु] [अम्हहं] - - - चतुर्थी-षष्ठो महु (२. ३२.) मज्झु (६. १७.) अम्हाण (६. १६..) महुँ (५. १९५)
[भम्हह] सप्तमी [महं]
[अम्हासु
अनेकवचन