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१२१-१२२. अहो दुर्जनसंसर्गान्मानहानिः पदे पदे । पावको लोहसंगेन मुद्गरैरभिहन्यते ॥ सुभाषित.
१३५ - १३८. हेमचन्द्रना दुहाओ साधे सरखामणी. जुओ १. कवि अने तेना जीवनमां करेलुं विवेचन.
१. कवि अने तेनुं जीवनः
प्रस्तुत उद्धरण माटे 'Joindu and his Apabhramsa Works J. Bhand. O.R I 1931 मां दोहाप्राभृतमांथी उतारा आवेला ते अमे लखी लीघेला. त्यार पछी इ. स. १९३३मा प्रो. हीरालाले 'पाहुडदोहा ' प्रन्थ श्री अम्बादास चवरे दिगम्बर जैन प्रन्थमालाना मणका, ३ तरीके प्रसिद्ध कर्यो. आ बन्ने मूळना आधारे अमे प्रस्तुत उद्धरण तैयार कयुं छे. आने माटे अमे श्री. उपाध्ये तेम ज प्रो. हीरालालना ऋणी छीए.
॥ अष्टममुद्धरणम् ॥
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प्रो. हीरालाल आ काव्यना कर्ताने रामसिंहमुनि ओळखावे छे. तेमणे वापरेली श्री. जुगलकिशोर मुख्तारे मोकली आपेली दील्हीनी प्रतना अन्तमां लखेलुं छे के : - इति श्रीमुनिरामसीहविरचिता समाप्तम् | कोल्हापुरनी श्री. उपाध्ये वाळी प्रतने अन्तेः - इति श्रीयोगेन्द्रदेवविरचितदोहापाहुडं नाम समाप्तम् ॥ प्रो. हीरालाल दलील करे छे के सामान्य रीते जोइन्दु पोतानुं नाम ग्रंथमां मूके छे ते आ ग्रन्थमां नथी. परन्तु आ दलील एटली बधी सबळ नथी. जोइन्दुनुं नाम अमे पसंद कर्यु तेनुं कारण तो कोल्हापुरनी प्रतनो आधार अने प्रस्तुत प्रन्थनुं परमात्मप्रकाश साथै असाधारण साम्य ए ज छे. बाकी आ प्रन्धना कर्तानो प्रश्न प्रो. हीरालाल कहे छे तेम खरेखर जटिल ज छे.
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पाहुड - दोहा अने सि. हे नां केटलांक अपभ्रंश उदाहरणो वच्चे साम्य छे. (प्रो. हीरालालनी भूमिका. पा. २२ - २५) तेमां हेमचन्द्र ज पाहुडदोहामांथी उदाहरण माटे लेनार जणाय छे. एटले विक्रमना बारमा शतकना मध्यमां थएला हेमचन्द्रनी पहेली आ प्रन्थनो कर्ता थयो होवो जोईए.
२. उद्धरणवस्तुः
परमात्मप्रकाशनी जेम आमां अध्यात्मवादने अप्रस्थान आपी इन्द्रिय
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