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________________ . (४०) नश्री, तो पण कईक ज्ञान अयुं , ने कईक-फरस ज्ञान थयु तेना प्रनावथी कंईक समन्नाव राखे बे; तो जेटलो राग १ नो थयो ए पण नकोदरी तपनुं लक्षण , माटे जेम राग शेषनी परणती नदी पाय एम उत्तम पुरुषे करवू. हवे बीजो कवल आहार , ते सर्वथा जेहनी चा नठेले तेनो त्याग करे बे, ते अनशन तपमा गणाय . हवे सर्वधा आहार विना तो शरीररहेतुं नथी त्यारे आहार आपवो जोइए, पण आहार लेवानो धर्म नथी तेथी इबा थती नथी पण शरीरने टकाववा आहार आपवो. ते नगुं खाय तो पण शरीरनो टकाव, रहे रोगादीकनी नुत्पत्ति न थाय तेथी आहार नगे ले अने इबा नथी वा छाडे तो ते नी थइ, एटलो आत्मा निरमल थयो ने इ. बाना रोधरूप नगोदरी तप सहेजे थयो. वली जेनी एटली विशुदिनथी थई ते पण हमेशना खोराक करतां पांच कोलीआवा तेथी वधारे नग खावानो अभ्यास करे, तेथीपी सेहेजे इबानो रोध थई जाय. वली बीजी रीते खावानी वस्तुन, तेमांथी जेटली वस्तु नगी ले तेटलो नणोदरी तप थाय. वली नगी वस्तु ग्रहण क्यारे थाय. के कंइक खावाना विषय घट्या होय तो वा विषय घटवानो अभ्यास . केमके आहार लेवानो आत्मानोधम नथी, तो जेम बने तेम पोतानो आत्म धर्म प्रगट करवानो जीवने अभ्यास करवो जोईए. जेम जे जे कला शीखवी होय ते ते कला अभ्यास करवाथी शीखाय ने तेम. आत्म धर्मनी वर्तना अनादी काल थयां जाणतो नथी, तथा वर्ततो नथी. ते अन्न्यास करवाथी वर्तना थाय तो ते अभ्यासमां जेम बने तेम अयोग्यनो त्याग करवो. आहार बहु जातना , तेमांथी जे आहार लेवाथी घणा जीवनी हिंसा थाय ने ते आहार शाकादिक तथा अन्नदादिकनो न करे ते बावीश अन्नदनां नाम मारा करे
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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