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________________ ( ३३ ) सुख तेज सुख माने. ज्ञान, दर्शन, चारित्र, गुण श्रात्मानो ते प्रगट करवानां काम श्राय, विषयादीकना अभीलाष शांत थर जाय, कामजोगनी वांबाननो नाश थाय, कुबुद्धि कुशास्त्रनी बुद्धिटली जाय, एवा उपदेशक पुरुष उपदेश करीने शासनाने शोजावे. त्री जो वादी प्रज्ञाविक ते जे जे खोटा मतवादी वाद करवा श्रावे, अनेक प्रकारना कुतर्कों करे तेदना जवाब एवा आपे के कुतर्को नाश थाय; जेमके मल्लवादीजी महाराजे बौद्ध साधे वाद कर्यो मां बौवालाथी जवाब न देवायो तेनी फिकरमां ते विचारो मरण पाम्यो. एवा वाद करवानी कुशलताथी जिन शासन शोजे. चोथो नैमित्तिकि ते निमित्त शास्त्र जे ज्योतिष शास्व तेनो पारगामी होय तेथी जे जे निमित्त कड़े ते सत्य थाय; जेम बाहु स्वामीए राजाने कहां के सातमे दीवसे तमारो पुत्र मरण पामशे, तेज प्रमाणे श्रयं श्रने वराहमिहिरे सो वर्षं प्राखुं कर्तुं दतुं ते खोटं श्रयुं. एवा जज्बाहु स्वामी जेवा निमित्र शास्त्रना जाण ते एवी शासननी प्रभावनाने अर्थे निमित्त प्ररूपी शासननी प्रज्ञावना करे. पांचमो तपस्वी ते अहंकार ममकार रहित शांत स्वभावी आकरी तपस्यान करे, पोताना आत्मानो अहारी गुण प्रगट करवाने मोटी मोटी तपस्यान करे तेने जो ने बीजा पुरुषने तपस्या करवानी बुद्धि जागे. तपस्यानुं अजीर्ण क्रोध जगतमां कदेवाय वे ते जेनामां नथी, शांत रसनो समुइज बे, तेने जोइने घणा लोक प्रशंसा करे, ते तपस्वी नामा प्रजाविक कहिये, बो विद्याप्रज्ञाविक ते जेम वज स्वामी महाराजे विद्याना प्रजावे श्री देवीना भुवन वगेरेथी फुल लाव्या, जेश्री बौद्ध धर्मनो राजा चमत्कार पाम्यो ने जैन धर्म अंगीकार कर्यो. एवी रीते शासननी शोजा करे ते विद्याप्रनाविक, सातमो अंजनसिद्धि प्रन्नाविक जेम कालीकाचार्य म .
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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