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________________ (१४) वी म्हारी आत्मानी जे स्वन्नाव दशा ले ते प्रगट करवाने मुख्य कारण राग षथी रहीत श्रQ ए छे तो हवे म्हारे रागादिक घटामवा. ते घटामवा सारु प्रनुजीए जे वैराग्यनां शास्त्र कहां ले तेनो प्रयास करूं एवा शान्त पुरुषनी सोबत करूं के जेथी म्हारी रागादि दशा नगी श्राय; आवा विचार करवा जोइए ते न करतां नलटो रोश वधे एवं करवू ते अयोग्य ले अने कहे डे के, म्हारे म्हारा नाइ साथे बहु स्नेह हतो ते याद आवे तेथी रमूंछ पण ते माटे रमतो नथी. एम कहे ते लोकमां मान पामवा. पण चित्तमां तो पोतानो स्वार्थ जे नाश्थी श्रतो ते बंध थयो ते सारु रमे, पण ते वास्ते रमे कार्य अतुं नथी पण पोताना कर्मनो विचार करवो जोइए. पोते तेनी पाले लेगुं मुक्युं हतुं ते लेइ चूक्या हवे ते क्याथी आपे अथवा पुन्य बलवान हो तो नाश करतो हतो ते बीजो करनार मलशे, पण आवा रमवा कुटवाना विकटप करवाथी उलटी बुद्धि नष्ट थ जाय ने अने जे काम करवां ले ते अतां नथी; वली केटलाएक रमवानु ढोंगरूप पण करे ने कारण जे देखोतुं रमे अने ना. इनोगेकरो होय तेनी वा नाश्नी स्त्रिनी वा नाश्नी पुंजी होय ते खा जाय अने तेहने बरोबर आपता नथी वा समुलगी खा जाय रे वा नाश्नी स्त्री सारे वखते खोटी वर्तणुक चलावतां पण नाश्नो स्नेह विचारतो नश्री आवामाणसनुरमकुंकुट, ते ढोंग . वली सगांवहालां तथा न्यातनां माणसो आवे ने तेहy काम ए के पा माणसनो नाइ मरी गयो, तो हमो जइने तेहने संतोष पमामीए पण संतोष न पमामतां नलटापोते रमे ठे ने पेला रमता बंध या होय तेने रमवान जारी करावे, वली बाइनने कुटती बखत उपदेश करे ले के आम शुं कुटो गे? एटले जोरथी कुटो आ मतलबनो नपदेश करे , तेथी
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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