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________________ (१००) करे , कन्ना ऊना पगखेडे, ते सुख मानताज नथी; पानुषण पहेरी खुशी थायडे, तेनो नार नगववो पझे अने शरीरे पीछे , तेहना नपर लकज नथी; तेमज खावाना विषय सेववाथी केटलीएक एहवी चीज के जे खावाथी रोगनी नत्पत्ति थाय ठे पण तेइना उपर लक्षज नथी, केटलाएक पदार्थ शरीरने अमचण करे एहवा नथी ते पण प्रमाणथी खाय तो, पण ते प्रमाण मुपर लक नही ने अतिशय खायतो अजीर्ण थाय ने मरे वा मांदो पमे तेनो पण विचार विषय आगल रहेतो नश्री; प्रमाणथी खाय तो तेमां पण केटलां सुख नोगववां पोडे, जेमके जीवने उधपाक खावा- मन थाय , अने ते उधपाक खाश्ने खुशी थाय बे; पण ए उघपाक रांधतांज केटलो शरीरमां पसीनो नीकल्यो त्यारे तश्यार थयो, ते को विचार करता नथी; एवी रीतनां सं. सारी सुख उखगर्जित . स्त्रीयोने विषयने सारु पुरुष, दास पणुं करवू पमे; जो विषयनी हा न होय तो पाणिग्रहण करवानी जरुर न पमे, पण विषयनी हाथी पाणिग्रहण करे . पळी पुरुष मारे, कुटे, गालो दे, घर, पाखो दिवस काम करावे, पाटबुं दुःख लोगवे त्यारे विषयनां पेहेरवानां सुख मले. माटे बस्तुपणे संसारी सुख, सुख मानवारूप पण दुःखमयी , अने सिह महाराजने एमांनु एक पण दु:ख नश्री; केवल सुखज में; अने सादि अनंत नांगे . एटले सिमां गया त्यारथी आदि डे पण ए सुखनो अंत भाववानो नथी. एनुं स्वरूप प्रकल .को. श्थी कल्यु जाय एवं नथी,तेम ए सुख मुखे कडं जाय तेवुनथी. शास्त्रमा एक दृष्टांत आप्युं ले के एक राज पुरुष वक्र शिक्षित अश्व उपर बेगे अने पग तेनी जेम जेम लगाम खेंचे ने तेम तेम दोमतो जाय , जंगलमा नऊ नूमिमां लश् गयो, माणसो बधा पाउल रहा अने राजा एकलो वनमा गयो. राजाने नय
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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