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________________ माने कुःख करुंचें एम माने , पण पोताने प्रत्यद कुःख पाय . पोतानुं शरीर फेरफार थ जाय , शरीर लाल लाल थर जाय बे, गतीमां गनराट थाय , लोही शरीरमांथी उबली जाय , तेथ। लोही सुका जाय ले अने निर्बल थइ जाय . प्रा बनाव क्रोधथी बने . क्रोधी माणस नोकरी रहेवा जाय तो कोइ नोकर राखे नहीं, कोइने त्यां व्याजे नाणुं लेवा जाय तो ते पण खुशीथश्ने आपे नहीं, वली उकान मांमी होय तो शांत माणसने त्यां जेटलां घराक आवे, एटलां घराक क्रोधीने त्यां आवे नहीं, कन्या जोश्ती होय तो खुशीथी मले नहीं, वली क्रोधी माणस पोताने हाथे पोतानुं माथु फोमे, कूवादिकमां पोडे, वा फेर खाय , फांसो खाय , पोताने हाथे पोतानी घात करे , जगतमां अपजश पामे . क्रोधी माणस कदापि संसार गेमी साधु थाय ने तो कषाये करी तेमां पण शोना पामता नथी, तेम आत्मानु कल्याण अतुं नयी पण संसारवृदियाय ने; जेमके चमकोशिया सर्प पागला नवमां साधुपणामां क्रोध को, तो मरोने पाग क्रोधी श्रवानो वखत आव्यो, पागे त्यां पण क्रोधथी मरण थयुं ने सर्प थवानो वखत आव्यो, तेमज जे जे माणस क्रोध करे तेने आ लोकमां दुःख थाय अने परलोकमां नरकगतिमां जq थाय जे; माटे हरेक प्रकारे क्रोध गेमवानो नद्यम करवो. अनिशर्मा तापस मास मासखमणनां पारणां करतो हतो, तो पण उर्गतिए जवानो वखत आव्यो. एनी विस्तारे हकीकत समरादित्यकेवलीना रासमां जुन. केटला नव सुधी शेष रह्यो छे, अने केवां केवां उर्गतिनां फल मठ्यां . क्रोधथी प्रत्यक्षमा मार खाय , वखते प्राण पण जाय , माटे जेम बने तेम क्रोधने जीतीने समतामां रदेवाथी आ लोकमां पण सुख थाय ने. क्रोधीने संसारमा सुख नहीं तेम परलोकमां पण सुख नथी.न
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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