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________________ (१४०) सेवी रह्यो . वली अधर्मीना कुलमा जन्म पाम्यो ने तेथी ते. नी वार्ता सांजली ते रीतनी श्रद्धा करे अने हिंसा करीने धर्म माने; जेमके केटलाएक लोक वींग, सर्प, वाघ, सिंह एवा हिंसक जीवने मारवा ते धर्म के एम माने वली बकरीदमां बकरा मारवा ते धर्मठे आवी रीते अज्ञानपणे जीव हिंसा करीने धर्म माने ते अधर्मने धर्म मान्यो कहीए वली लोकमां आर्य लोक कहेवाय, दयालु कहेवाय ते उतां केटलाएक बकरा घोमा विगेरे यज्ञ करीने तेमां होमे अने तेने धर्म माने; कोइ पण जीवने कुःख थाय तो तेनुं फल एज ले के ते पापथी आपणे मुख नोगव, पमे एवं सर्व धर्मवाला माने . तेम बतां आवा प्राणीने दुःख देवामां पाप मानता नथी एज अधर्मने धर्म मान्यो कहीए, माटे जे जे माणस कोइ पण जीवने दुःख देवें, जूई बोलवू, चोरी करवी, स्त्री गमन करवू, धननी तृष्णा ए वस्तुमांधी कोश पण वस्तु करीने धर्म माने, ते अधर्मने धर्म मान्यो समजवो. अहीयां कोई प्रश्न करशे जे तमारा जैनीन गामी घोमा नपर बेसनारा,सारा आनूषण घरेणाना पहेरनार, खाटला नपर सारी तलाश्न नाखी सुनारा, रोज सारा मिष्टान नोजनना करनारा तेवा सुखीया माणसने संसार बगेमावी दिक्षा आपी नघामे पगे चलावोगे, नघामे माथे फेरवो गे, नोय नपर सुवामोगे, घेर घेर फरीने निकामंगावोगे. जेवो आहार मले तेवो खवरावो गे अने सुंदर विगयो खावाना बंध करावोगे तो ए शुं ? तेने दुःख देश धर्म मान्यो न कहीये, ए विषे समजवू के अमारा जैनी मुनि महाराजो कोइने पण जबराश्थी एवी रीते करता नश्री, ने जबराश्थी एमांगें कंइ पण कोइने करावे ने धर्म माने तो तमो कहोगे तेम थाय. पण अमारा मुनियो तो संसारमां शुं शुं सुख , बली संसारमांकुखने सुख मानवाश्री शुं फल पाय
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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