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नहीं ते वातनुं विशेष स्वरूप समज्या विना ते वात चित्तमां निश्चित थापी राखी पी कोईक वखत बजारमां जाय बे त्यां गघेरुं दोतुं प्राव्यं तेने रोकवाने पुंकुं पकमयुं, त्यारे तेथे लातो मारवा मांगी ते लातो खाया करे पण पुंब मुके नही. ते जोई लोकोने दया आववाथी तेने समजाव्यो जे ए पुंबकुं मुकी दे नीकर मरी जा त्यारे एकज जवाब प्राप्यो जे महारा बापे शिखामण आप बे के जे पकमयुं ते मुकवुं नहीं, माटे हुं पकमेलुं बोमीश नहीं; एम कही मुक्युं नही अने लातो खाईने दुखी यो. तेम श्रा मिथ्यात्वना जोरथी सुगुरु साचो मार्ग बतावे, घणी ते समजावे, तो पण सुगुरुनुं वचन माने नहीं अने कहे जे बापदादा करता याव्या तेम करवुं, घरमा शुं गांमा हता ? एम
कमीने खरी बात समजे नहीं प्रने प्रत्यक्ष कुगुरु पोतानी स्त्री वा मा बेन साथे खोटी रीते वर्तता होय तो पण बापदा दानो हठ पकमी कुगुरुने मुके नही ते श्रभिग्रहीक मिथ्यात्व.
२ बीजु अननिग्रही मिथ्यात्व ते साचा देव अने खोटा देव कुगुरुने सुगुरुने सत्य धर्मने प्रसत्य धर्मने बचाने सरखा मा. सुदेवने पण नमस्कार करे श्रने कुदेवने पण नमस्कार करे. खराखोटानो ने नथी. मुखे पण बोले के सर्व देवने नमस्कार करवा पण तेनो परमार्थ नथी जाणतो के देवने तो नमस्कार करवा योग्य बे पण देवपणुं नथी ने तेमां देवपणुं केम मानवु वो विचार नथी तेथी गुणी निर्गुणी सर्वेने सरखा माने बे, तेमां जाग्य नदयथी सुगुरु मले तो कल्याण, पण ते मली न शके. जो मले तो एवी बुद्धि रहे नहीं ने एवी बुद्धि रही बे तेथी जलाय बे के कुगुरु मख्या बे. अने तेनी संगतथी तत्त्वने तत्त्व माने तेथ शुद्ध आत्मधर्म, अने आत्मधर्म प्रगट करवानां कारणो मली शके नही. अने जवनो निस्तार थाय नहीं माटे आत्मार्थी स