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________________ (२५२) संसारमे जा रहा हू, मेरे प्रभु मुजे कोई हिदायत दीजीए, जीससे मैं वहां पर सफलता पा सकु " ईश्वरने प्रसन्न होकर कहा " बच्चे, तुम्हे जीवनकी दो विभूतियां दे रहा हूं. संसारमे अकको अकल और दूसरी को इमान कहते है ! मेरी हिदायत है कि अकलको हंमेशां खूख खर्च करे और इमानको हंमेशां महफूज रखना । मानवने शिर काया और दोनों हाथ आगे बढा दीये । ईश्वरने मानव के बाये हाथमें अकल रखी और दाये हाथमे इमान राह चल।। भूल मनुष्यका स्वभाव हैं । भूल्से अकलकी जगह पर इमान और इमानकी जगद पर अकल रख बैठे ! संसारमे मानव दोनो हाथों इमान लूटा रहा हैं वह मनुष्यकी गंभीर भूल है || रखा और वह अपनी ૮૧૩ सत्य कहां मिलता हैं ? एक वार अहमदाबाद साबरमती आश्रम में बम्बई से एक अंग्रेज परिवार गांधीजीके दर्शन के लिए आया । उसमें से एक युवतीने जिज्ञासाभाव से पूछा "WHERE CAN I FIND THE TRUTH ?” (व्हेयर केन आइ फाइन्ड दी ट्रुथ ) मैं सत्य कहां पा सकती हूं ? महात्माजीने उत्तर दिया NO WHERE ( नो व्हेर ) अर्थात् कहीं नहि ! इस युवतीका चेहरा उत्तर गया । कुछ और बातचीत करने के पश्चात् उस महिला ने अपना पाकेट बुक दिया और कहा, "कृपया इसमें आप अपने हस्ताक्षर दीजिये।" महात्माजीने उस पाकेट बुक में लिखा, ONE CAN FIND THE TRUTH IN ONCE OWN HEART ( वन केन फाइन्ड दी ट्रुथ इन वन्स ओन हार्ट) अर्थात् सत्य अपने हृदयमें मिल सकता है। ૮૧૪ પ્રાતઃકાલીન સમયમાં એક બાળકને અબ્બે સિપાહી
SR No.023344
Book TitleTilak Tarand Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaybhuvanshekharsuri
PublisherVadilal and Devsibhai Company
Publication Year1976
Total Pages302
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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