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जैनधर्मसिंधु. एसणासमिश्ए ॥ श्रायाणगंम्मतनिकेवणा समि इए ॥ उच्चारपासवणखेलजलसिंघाण पारिठावणि श्रा समिश्ए ॥५॥ १० ॥ बहिं जीव निकाएहिं॥पुढवि काएणं ॥ श्राउकाएणं ॥ तेउकाएणं ॥ वाचकाएणं ॥ वणस्सश्काएणं तसकाएणं ॥ १० ॥ बहिं खेसाहिं॥ किएहलेसाए॥नील खेसाए॥कार्ड लेसाए।तेउलेसाए पलमलेसाए ॥सुक खेसाए ॥६॥पण॥ सत्तहिं जयहाणे हिं॥श्रहहिं मयहाणेहिं ॥ नवहिं बंजचेर गुत्तीहिं॥ दसविहे समणधम्मे ॥ गारसहिं उवासग पमिमा हिं ॥ बारसहिं निख्खुपमिमाहिं ॥ तेरसहिं किरिया गणेहिं ॥ चउद्दसहिं ॥ अगामेहिं ॥ पन्नरसहिं ॥ परमाहम्मिहि ॥ सोलसहिं गाहासोलसएहिं ॥ सत्त रस विहे असंजमे ॥ श्रहारसविहे अबंने ॥ एगूण वीसाए नायशयणेहिं ॥ वीसाए असमाहि हाणेहिं॥ श्कवीसाए सबसेहिं ॥ बावीसाए परीसहेहिं ॥ ते वीसाए सुश्रगमनयणेहिं ॥ चवीसाए देवेहिं ॥ पणवीसाए नावणाहिं ॥ ब्बीसाए दसाकप्पववहारा णं उद्देसणकालेहिं ॥ सत्तावीसाए अणगार गुणेहिं॥ अहावीसाए आयारपकप्पेहि ॥ एगुणतीसाए पाव सुअपसंगेहिं ॥ तीसाए मोहणीअठाणेहिं ॥ गती साए सिझा गुणेहिं ॥ बत्तीसाए जोग संगहेहिं ॥ तित्तीसाए आसायणाएहिं ॥ अरिहंताणं श्रासाय पाए ॥ सिकाणं आसायणाए आय रियाणं आसा