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जैनधर्मसिंधु.
सें बेदन करना. सिद्धपदगुणना. ज्ञान गुरु संघ जक्ति करना.
॥ खं दशमी तप ॥ सुक्ल पक्ष की दशमी के दिन एकाशनादि तपकरनां सिद्धपदगुणना. एसी दश एकादशी करनी तपके दिन अखंड अन्नका जोजन करना. उद्यापनमें दश जातिके धान्य फल पकवान जिनमंदिरमें ढोकन करना. शुध्ध वस्त्र चढाना ज्ञान गुरु जक्ति करना. यह तपके करनेसें विधवा न होय एसा महिमा हे.
॥ श्रमृताष्टमी तप ॥ सुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन आयंबिल करनां एसी आठ अष्टमी करना. सिद्धपदगुणना. देवपूजा करनी उद्यापनमे दूधसे जरा कलस एक, कंचुकी नवीन एक, मोदक एक, जल घट एक, जिन मंदिरमे चढाना ज्ञान गुरु संघ नक्ति करना.
॥ सत्तरी सय जिन तप ॥ सित्तेरसय जिन श्राश्रयि एकसो सित्तर एकांतर उपवास वा एकासना करना । गुणा गुरु मुखसे धारके जपना. उद्यापनमें एकसो सितर श्राविकाको जिमाना ज्ञान गुरु जक्ति करना.
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॥ दुःख दुःखित तप ॥ सुद पक्षकी प्रतिपदाको पहिला उपवास, सुद डुजका दुसरा, सुद तीजका तीसरा उपवास, यह प्रथम जेली. एसी