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द्वितीयपरिवेद. २१७ पवासादि तप गिणे न जावे । स्त्रीयां पिण ऋतु समय का तप न गिणे (तथा) तपके दिन पोसह सहित करे (तो) बहोत श्रेयकारी हे। सो नही होसके (तो) तपके दिन उजय टंक पमिकमणा करे। तीन टंक देव बंदन करे । दो सहस्त्र (२०००) एक पदका जप करे । ब्रह्मचर्य पाले। नूमि शयन करे। तपके दिन अतिसावध श्रारंन व्यापार न करे। असत्य न बोले । सब दिन तप पदके गुण कीर्तनमें रहे। (तथा) तपके दिन पोसह करे । (तो) पा रणे के दिन जिन नक्ति करके पारणो करे । करावे । नावना नावे । (तथा) तपकै दिन पदके गुण नेद प्रमाण संख्या काउसग्ग करे। (ता वन्मात्र) तिणकेगुण स्मरण पूर्वक खमासमण देई वं दनाकरे। उस पदका महिमा गुण याद करके उदात्त खरे स्तवना करे । हर्षित रहे। ॥ अब बीस स्थानक गुणनो और काउसग्गका
प्रमाण लिखते है ॥ ॥ (णमो अरिहंताणं) (२०००) गुणनो। लोगस्स १५ काउसग्ग ॥ १॥ (णमो सिझाणं)(२०००) गुणनो । लोगस्स १५ काउसग्ग ॥२॥ (णमो पवय एस्स) (२०००) दो हजार गुणनो। लोगस्त ७ काउसग्ग ॥३॥ (णमो आयरियाणं) (२०००) दो हजार गुणनो। लोगस्स ३६ काउसग्ग ॥४॥