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द्वितीयपरिच्छेद. १५ (अथवा) पहिले भारती प्रमुख करिके। पीजे पमिक मणो करै। (सोणेंके समय) इरिया बही पडिक्कमके चैत्यवंदन करिक।राई संथारा गाथागुणके सोवै।निसा न आवे जहांतक नवपदका गुण स्मरण करै ॥ इति प्रथम दिवसविधिः ॥१॥
॥अथ द्वितीय दिवस विधिलि ॥ ॥ अब इसीतरे दूसरे दिन प्रजाति करणी सब क रिके सिझपदको लालवर्ण है।(इसीसें) गहुँकी रोटीको अंबिल करै ॐ ह्री णमो सिझाणं (इसपदको) गुणणो दो हजार करै । सिद्धपदके श्रावगुण । सो () गुणां को गुरु नमस्कार करावे (सो लिखते हैं)। १ अनन्तज्ञानसंयुताय श्रीसिद्धाय नमः । २ अनन्तदर्शन संयुताय श्रीसि । ३ अव्याबाध गुणसंयुताय श्रीसि। ४ अनन्तसम्यक्त चारित्रगुण संयुताय श्रीसि । ५ श्रदय स्थितिगुण संयुताय श्रीसि। ६ अरूपी निरंजनगुण संयुताय श्रीसि । ७ अगुरुलघु गुणसंयुताय श्रीसि । अनन्तवीर्यगुण संयुताय श्रीसि।
॥ इतिसिझोंके अष्टौ गुणाः॥ ॥ यह आवे नमस्कार करिके । अन्नत्थूससि बाग्लोगस्सनो काउसग्ग करै । एकलोगस्स कहिके