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प्रथमपरिछेद. रबागा, संघ नयर नदंते, अखंड चरित्त पागारा ॥४॥ संजम तवं तु बारस्स, नमो सम्मत्त पारियल्लस्स ॥ अप्पडिचक्क सज. दोन सया संघचक्कस्स ॥५॥नदं सील पडा गुसि यस्स, तव नियम तुरय जुत्तस्स ॥ संघरदस्स जगवर्ड, सऊडाय सुंनंदि घोसस्स ॥६॥ नंदि आनंदि सदा संघने जय जय कारणी. आनंद कारणी, कल्याण कारणी, श्री जिने देव श्रीगुरुदेवने त्रिकाल वंदना. ॥
__ सागर गब प्रतिक्रमण विधि.
सागरगढ प्रतिक्रमण विधि तपे गब समान जाणना परं विशेष मात्र इतनादे की प्रतिक्रमपारनेकी समय ावदी न प्रतिक्रमतेदें.
आनंद सूरीयगड प्रतिक्रमण विधि. समग्रविधि तपेग प्रतिक्रमण समान जाणना विशेष मात्र सागरगढ प्रमाण जाणना.
वडग प्रतिक्रमण विधि, समग्र विधि तपेगबके प्रतिक्रमण विधि समान जाणना बिलकुल फरकनही.