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प्रथमपरिच्छेद.
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लोवबुं
प्रगट लोगस्स कही गमागमण एटले मार्गने विषे जातां प्रावतां ॥ एकही पी सामायिक ठावा ण नवकार गुणीयें. पी जीवराशि खमावी अठार पाप स्थानक या लोइ पी गुरुस्थापना निमित्त पंचिदिय कही
व्य, क्षेत्र, काल, जाव धारवा. पबी एक नवकार गुणी सामायिक व्रत उच्चार करीयें. पबी फरी बीजा आवश्यक जणी इरियावदी० ॥ तस्स उत्तरी० ॥ कही पी एक लोगस्सनो काउस्स ग्ग करी लोगस्स प्रगट कही पबी वीजा प्राव श्यक जण इवं निजव शेष डुरकरकय कम्मरकय निमित्त (पांच) लोगस्स नो काउस्सग्ग करवो. पी लोगस्स एक प्रगट कही, पबी कुसुमि सुमिण उद्दामि निमित्तं करेमि का नस्सग्गं. एम कही (४) लोगस्स नो काजस्सग्ग करवो. पी एक लोगस्स प्रगट कही पढी उत्तरा संगनोबेदको पडिलेही पबी चोथा आवश्यकजणी बेवार वांदणां देने पी एकजण जोरही पां चमाप्रावश्यक जणी लघु प्रतिचार कदे. पबी चैत्यवंदन कही ( चार ) स्तवन कदेवां. पी