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जैनधर्मसिंधु
लोए अरिहंतचेणं कही, एक लोगस्स चप्रथवा चार नवकारनो काजस्सग्ग पारी पटी पुस्करवरदी, सुप्रस्स नगव, करेमि काजस्सग्गं वंद अन्न कही, एक लोगस्स अथवा चार नवकारनो काजस्सग्ग पारीने पी सिद्धाणं gai कही, सुप्र देवयाए करेमि काजस्सग्गं अन्नत्व० कढी, एक नवकारनो काजस्सग्ग पारी, " नमोऽर्दत्० " कही, पुरुषें “सुप्र देवया" नी पहेली थोय ने स्त्रीयें "कमलदल" नी पहेली योय कदेवी ॥ पी खित्तदेवयाए करेमि कान रसग्गं० कही, एक नवकारनो काउस्सग्ग पारी " नमोऽर्दत्" कही खित्तदेवयानी बीजी थोय स्त्री तथा पुरुष कदेव । ॥ पबी प्रगट एक नव कार गणी, बेशीनें बहा आवश्यकनी मुहपत्ति पडिलेही वांदणां वे देईने, इच्छाकारेण संदिसद भगवन् सामायिक, चजविसबो, वंदनक, पनि क्कमणुं, काउस्सग्ग, पञ्चकाण, करयुं बे जी, ए रीते व आवश्यक, संजारवां ॥ पी “इच्छामो अणुसहिं” “नमोखमासमणाां०" " नमोऽर्द तूo" कही, पुरुष, नमोस्तु वर्धमानाय कहे