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________________ 3 प्रतुभेत उग्रशाला के उग्र साकार संपना महासंयम हो उग्रपैाल था उपर सर्व रामहर्ष माह अज्ञानसमुक्त हो तम प्रभु शासनना मुख्य आदाधा समार्गे उसरघा उग्र प्रदशन सहा रहे हो वेध आले नौन सरधुनी साधुता विशेष दादांनी अनुलवाद हो भगत‌पुरण येन स्वाइनको हो प्रत्युमान की आराधना निशानु आधार रखने शहक 22 सের। उদर গলে। हो साराह मे अंदाटेमा प्रदत्ल अ‌द्यत्नोहोचले निर्वासঝn ऊ हो नई फकहरूमा पालव यासतोषधी, प्रलुक शासन, सनंता जनंत प्रभु झासमझ पाएं धता भदो परण ओके अदमुछे या शासनना होय पहाधना सदिकरूपे हये उपाध्ये पहा धनो पार जोध अनिवार्य हो यदिना हेदे पसाउ हान उनके उपाहेद ए९सानु दुगक पल मुझे माझे प्रशासनना सर्वो मुखरज्ञाननी सांशिव स्वरुप प्रत्यु सनमांदळी शास्थान महात्म सानु भगवंतो या अनो सिप दोनी दिलेसनयुक्त संजित रूपमा यो पुस्तक पुलिन अको तैयार ही सदासी हो ते ठरणार उदासनाइने धन्यवादृछ प्रयुशासनका रोड विशेष सेवा को ले अनुमाईला पूजई आमा सहयोग अपनाउने धन्दवाई अनुमोदना अधु एझस्वता होषना अरुघोटवर पुस्तक पुस्तिका भेध दियावदातय सुधारपदा R213 in that garz on 211 RA?15731 सेन दिवस घोष अन्द ए खंडस झপ४ खडi - समहाबाईन
SR No.023304
Book TitleParamnu Pavan Smaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnabodhivijay, Sanyambodhivijay
PublisherJainam Parivar
Publication Year2014
Total Pages126
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size30 MB
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