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________________ विण्णाणि - विज्ञानी 11/18/12 वित्थरिय - विस्तृत, विस्तारित 1/3/15 विदेहखेत्त - विदेह-क्षेत्र 12/5/9 विद्दवइ – विशेष रूप से द्रवित होना 11/9/4 विदवणु - विद्रवित कर देने वाला 1/5/10 विद्वा - वेधा 4/9/3 विष्फारिय - विस्फारित, दैदीप्यमान 4/3/8 विद्यभम - विभ्रम-विलास 11/7/2 विब्भावड - विभ्रावट नामक यवनराज का योद्धा 4/21/17 विभासा – अशिष्ट-भाषा, विकृत-भाषा 3/6/5 विभुक्क - जोरों से दूंकना 9/2/4 विभूइ - विभूति 7/16/2 विमद्द - उथल-पुथल मचा देने वाला 3/16/12 विमीसिय - विमिश्रित 6/2/7 विमुज्जहि - विमोहित होना 10/5/12 वियडुल्लउ - अति विकट 5/11/8 वियक्खण - विचक्षण 11/8/5 वियप्प - विकल्प 5/8/13 वियलिय - विगलित 4/4/15 वियसंत - विकसित 11/23/11 वियसंतवत्त - विकसित-मुख 4/12/4 वियाणु - जानो 11/21/4 वियारणिउ - विचारणीय 7/6/7 विरएवि- रचना कर, प्रणयन कर 1/2/1 विरंचि - ब्रह्मा 1/12/9 विरंतउ - निवारण करना 7/1/16 विरमइ - विरमित 4/10/2 विरयण - विचरण, करने के लिये 6/7/7 विरयाविरयउ - विरताविरत (प्रतिमाधारी) 11/22/8 विरयमि - करना चाहिए 6/10/12 विरस - रस-रहित 10/6/2 विरह - विरह 3/18/8 विराइओ - विराजित, सुशोभित 4/4/1 विरिय - बरैया, बर्र, हड्डा 7/14/5 विरोउ - रोग-रहित 11/21/10 विरोम – निर्लोम, रोम-रहित 1/13/4 विरोह - विरोध 2/13/15 विलउ - विलय 3/17/3 विलवंत - विलाप करता हुआ 9/21/3 विलसंत - विलास करते हुए 11/12/13 विलुलंत - लुंज-पुंज होकर 4/10/4 विलेवण - विलेपन 4/1/9 विवित्तसत्तु - शक्तिहीन बनाकर 8/8/6 विसहर-विराय - गरुड 5/4/3 विसु - कमलनाल 2/15/2 विसंतुल - अस्त-व्यस्त, अव्यवस्थित 6/1/7 विसज्ज - विसर्जन, छोड़ना 5/9/8 विसहर - विषधर, नाग 2/17/14 विसाण - सींग 7/14/15 विसिट्ठ - विशिष्ट 11/8/5 विसुलिंतु - विसकन्द 11/3/6 विस्सभूइ – विश्वभूति नामका राजा 11/6/11 विहंग - विभंग अवधिज्ञान 7/5/5 विहंगमु - पक्षी 3/14/13 विहंसिय - विध्वंसित 7/13/16 विहट्ठण - विध्वस्त करने में 6/3/6 विहप्पइ - वृहस्पति-ग्रह 9/7/6 विहल - विफल, व्यर्थ 10/12/9 विहलंघल - विह्वल, व्याकुल 11/9/1, 11/22/8 विहि - विधि (भाग्य) 11/17/14 विहियायर - आदर-भाव रखने वाला 1/7/1 विहुणत-धुनते हुए 11/10/18 विहुर - विधुर 3/8/10 विहूसण - विभूषण 3/18/11 वीण - गरुड़ - वीण 1/1/10 वीयउ - दूसरा 1/5/11 वील्हा - वील्हा नामकी महिला (कवि बुध श्रीधर की माता) 1/2/2 वुहु - बुधग्रह 9/7/5 वूह – ब्यूह, घेरा 5/3/5 वेइय - वेदिका 9/7/4 बेएँ – वेग पूर्वक 7/3/12 बेढिउ - घेरा डालना 4/16/8 पासणाहचरिउ :: 311
SR No.023248
Book TitlePasnah Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2006
Total Pages406
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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