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आदिनाथ चरित्र
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देव होंगे । उनकी सत्तर धनुषोंकी काया और बहत्तर लाख वर्षको आयु होगी। वे वासुपूज्य जिनेश्वर के विहारके समय में होंगे और अन्त में छठी नरक - भूमिको जायेंगे । द्वारकामें ही भद्रराजा और पृथ्वीदेवी के पुत्र स्वयंभु तीसरे वासुदेव होंगे, जो साठ धनुष की कायावाले, साठ लाख वर्षकी आयुवाले और त्रिमल प्रभुकी वन्दना करनेवाले होंगे। वे आयु पूरी होने पर छठी नरकभूमि में जायेंगे। उसी नगरी में पुरुषोत्तम नामके चौथे वासुदेव सोम राजा और सीता देवीके पुत्र होंगे। उनकी पचास धनुषकी काया होगी 1 वे अनन्तनाथ प्रभुके समय में तीस लाख वर्षकी आयु पूरी कर, अन्त में छठी नरकभूमिमें जायेंगे। अश्वपुर नगर में शिवराज और अमृता देवीके पुत्र पुरुषसिंह पाँचवे वासुदेव होंगे । वे चालीस धनुरकी काया और दस लाख वर्षकी आयुवाले होंगे। धर्मनाथ जिनेश्वर के समयमें आयु पूरी कर, वे छठी नरक भूमिमें जायेंगे । चक्रपुरीमें महाशिर राजा और लक्ष्मीवती रानीके पुत्र पुरुष - पुण्डरीक नामक छठे वासुदेव होंगे । जो उनतीस धनुष की काया और पैंसठ हज़ार वर्ष की आयुवाले होंगे। अरनाथ और मल्लीनाथके समय के बीच अपनी आयु पूरीकर वे छठी नरकभूमिमें जायेंगे। काशी नगरीमें राजा अग्निसिंह और रानी शेषवती के पुत्र दत्त नामक सातवें वासुदेव होंगे । वे छव्वीस धनुष की काया और छप्पन हज़ार वर्षकी आयुवाले होंगे। वे भी अनाथ तथा मल्लीनाथ के समय के बीच आयु पूरी कर. पाँचवीं नरकभूमिमें जायेंगे | अयोध्या ( राजगृह ) में राजा दशरथ
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