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आदिनाथ चरित्र
इस तरह प्रभुने अपनी चार मुट्ठियोंसे अपने बाल नोच लिये । सौधर्मपति ने प्रभुके केश अपने वस्त्रके आँचल में ले लिये, उससे ऐसा मालूम होने लगा मानो इस कपड़े को दूसरे रंगके तन्तुओंसे मण्डित करता हो।
[पृष्ठ २४६]
Narsingh Press, Calcutta.