________________
आदिनाथ चरित्र
NO
Fe...4
ISACDEXET
********
D. Banarj
इसके बाद प्रभुने कल्पवृज्ञकी तरह उनकी अपनी इच्छासे की हुई प्रार्थनाके अनुरूप, मनुष्योंको सांवत्सरिक दान देना आरम्भ किया ; अर्थात् कल्प वृक्ष जिस तरह माँगने वालेको उसकी प्रार्थनानुसार फल देता है; उसी तरह प्रभुसे जिसने जो माँगा उन्होंने उसे वही दिया । [ पृष्ठ २४४ ]