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________________ आदिनाथ चरित्र १८० प्रथम पर्व व्यन्तरोंमें पिशाचोंके इन्द्र काल और महाकाल, भूतोंके इन्द्र सुरूप और प्रतिरूप, यक्षोंके इन्द्र पूर्णभद्र और मणिभद्र, राक्षसों के इन्द्र भीम और महाभीम, किन्नरोंके इन्द्र किन्नर और किंपुरुष, किंपुरुषोंके इन्द्र सत्पुरुष और महापुरुष, महोरगके इन्द्र अतिकाय और महाकाय, गन्धर्वोके इन्द्र गीतरति और गीतयशा अप्रज्ञप्ति और पंच प्रज्ञप्ति वगेरः व्यन्तरोंके दूसरे आठ निकाय, उनके सोलह इन्द्र, उसमेंसे अप्रज्ञप्तिके इन्द्र संनिहित और समानक पॅच प्रज्ञप्तिके इन्द्र धाता और विधाता, ऋषिवादिके इन्द्र ऋषि और ऋषिपालक, भूतवादिके इन्द्र ईश्वर और महेश्वर, क्रन्दितके इन्द्र सुवत्सक और विशालक, महाकृन्दित के इन्द्र हास और हासरति, कुष्मांडके इन्द्र श्वेत और महाश्वेत, पावकके इन्द्र, पवक और पवकपति, ज्योतिष्कों के असंख्यात सूर्य और चन्द्र इन दो नामोंके ही इन्द्र, इस प्रकार कुल चौसठ इन्द्र मेरु पर्वत पर एक साथ आये देव कृत जन्मोत्सव इसके बाद अच्युत इन्द्रने जिनेश्वर के जन्मोत्सव के लिये उपकरण या सामग्री लानेकी अभियोगिक देवताओंको आज्ञा दी और उसी समय ईशान दिशाकी तरफ जाकर, वैक्रिय समुघातसे क्षणभर में उत्तम पुद्गलोंको आकर्षणकर, सुवर्णके, चाँदीके, रत्नके, सुवर्ण और चाँदीके, सुवर्ण और रत्नके, सोने
SR No.023180
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1924
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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