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आदिनाथ चरित्र।
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सागरचन्द्र "यह क्या है !" कहता हुआ संभ्रमके साथ वहाँ दौड़ गया। वहाँ जाकर उसने देखा कि, जिस तरह व्याघ्र हिरणीको पकड़ लेता है ; उसी तरह बन्दीवानोंने पूर्णभद्र सेठकी प्रियदर्शना नामकी कन्या पकड़ रखी है। जिस तरह साँपकी गर्दन तोड़कर मणिको लेले ते हैं, उसी तरह उसने बन्दीवानके हाथसे छूरि छीन ली। (पृष्ठ १२६)