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आदिनाथ चरित्रा
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'हे भगवन् ! आप राव और रंक में समदृष्टि रखनेवाले हैं,-गरीब और अमीर दोनों ही आपकी नज़र में समान हैं; इसलिए मैं विज्ञप्ति करके पूछती हूँ कि अापने संसार को दुःख-सदन रूप कहा,परन्तु क्या मुझसे भी अधिक दुःखी कोई है ?'
[पृष्ठ ८३]