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________________ योग-प्रयोग-अयोग/४१ इस प्रकार अपुनर्बन्धक से सर्वविरत तक योग का उपाय आचार्यश्री ने अध्यात्मयोग आदि योग रूप पाँच भूमिकाओं द्वारा प्रस्तुत किया है । इस प्रकार आचार्यश्री ने पूर्व सेवा से प्रारम्भ करके वृत्ति संक्षय और मोक्ष तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया योगबिन्दु में दर्शायी है। पूर्व सेवा से समत्वयोग तक सम्पूर्ण संवर योग वृत्तिसंक्षय योग के उपायजन्य होने से वृत्तिसंक्षय योग की पूर्व भूमिका ही कही जा सकती है। पातंजलि योगसूत्र में असंप्रज्ञात योग ही प्रमुख योग है किन्तु सम्प्रज्ञात योग की सम्पूर्ण प्रवृत्ति योग की भूमिका तंक ही मान्य कही गई है। अतः योग की इन पाँचों भूमिकाओं में से प्रथम चार भूमिकाओं की पतंजलि सम्मत सम्प्रज्ञात समाधि के साथ और अन्तिम धृत्तिसंक्षय योग असंप्रज्ञात समाधि के साथ तुलना होती है ।२५० योगदृष्टिसमुच्चय योगदृष्टिसमुच्चय में आने वाला आध्यात्मिक विकास क्रम का वर्णन योग बिन्दु के वर्णन से परिभाषा, वर्गीकरण तथा शैली में कुछ भिन्न है। योगबिन्दु के कई विषयक इसमें शब्दान्तर से आते हैं तो दूसरे कई विषय नये भी परिलक्षित होते हैं । इसमें जीव की अचरमावर्तकालीन-अज्ञानकालीन अवस्था को ओधदृष्टि और चरमावर्तकालीन-ज्ञानकालीन अवस्था को योगदृष्टि कहा है। ओघदृष्टि में प्रवृत्ति करने वाले भवाभिनन्दी का वर्णन योगबिन्दु (श्लोक १२-५,७६) से मिलता-जुलता ग्रन्थ में योग भूमिका के तीन वर्गीकरण मिलते हैं । एक में योग की प्रारम्भिक योग्यता से लेकर उसके अन्त तक की भूमिकाओं को कर्ममल के तारतम्य के अनुसार आठ भागों में बाँटकर उन्हें आठ योगदृष्टि कहा है। जैसे-मित्रा, तारा, बला, दीप्रा. स्थिरा, कान्ता, प्रभा और परा । (श्लोक १३) यह विभाग पातंजल दर्शन में प्रसिद्ध यम, नियम आदि आठ योगांगों के२६आधार पर तथा खेद, उद्वेग आदि बौद्ध परम्परा में प्रसिद्ध आठ पृथग्जनचित्तों के अर्थात् दोषों के परिहार के आधार पर और अद्वेष जिज्ञासा आदि आठ योगगुण के२८ प्राकट्य के आधार पर किया गया है [ श्लोक १६ 1 ___योग बिन्दु में वर्णित पूर्व सेवा आदि का वर्णन भी इसमें योगबीज रूप में कुछ विस्तार से मिलता है। २५. योगबिन्दु श्लो. ४१९-२१ २६. योगसूत्र-२-२२ २७. षोडशक-१४, श्लो. २ से ११ २८, बोडशक-१६-१४ 13......
SR No.023147
Book TitleYog Prayog Ayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktiprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1993
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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