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________________ रायपसेणियसुत्त रयणविहि, पुष्फविहि, फलविहिं, मल्लविहि, चुण्णविहि, वत्थविहि, गंधविहि, भाएंति । तत्थ अप्पेगइया देवा आभरणविहिं भाएंति । अप्पेगइया देवा चउन्विहं वाइयं वाएंति तं जहाततं विततं घणं झुसिरं | अप्पेगइया देवा चउविहं गेयं गायंति, तं जहा-उक्खित्तायं पयत्तायं मंदायं रोइयांवसाणं । अप्पेगइया देवा दुयं नट्टविहि उवदंसेन्ति । अप्पेगइया विलंबियनट्टविहिं उवदंसेंति । अप्पेगइया देवा दुतविलंबियं नट्टविहिं उवदंसेंति । एवं अप्पंगइया अंचियं नट्टविहिं उवदंसेंति । अप्पेगइया देवा आरभडं भसालं आरभडभसोलं उप्पयनिवयपमत्तं संकुचियपसारियं रियारिय भंतसंभंतनाम दिव्वं नट्टविहिं उवदंसेंति । अप्पेगइया देवा चउविहं अभिणयं अभिणयंति, तं जहा-दिट्टतियं पाडितियं सामंतोवणिवाययं लोगअंतामझावसाणियं । अप्पेगइया देवा बुक्काति, अप्पेगझ्या देवा पिणेति, अप्प्गइया लासेंति, अप्पेगइया नुकाति, अप्पेगइया तंडवेंति, अपऐगइया वर्गति, अप्पोडेति, अपऐगइया, अप्फोडेंतिवगंति, अप्पेगझ्या तिवई छिदेति । अप्पेगइया हयहे. सियं करोति, अप्पेगइया हरिथगुलगुलाई कति. अप्पेगइया रहघणघणाई करेंति, अरे गइया हयहेसियहत्थिगुलगुलाइयरहघणघणाइयं करेंति । अगइया उच्छति, अप्रंगड्या पाच्छलंति, अप्पेगइया उकिट्टियं करोति, अप्रेंगइया उच्छलंतिपोच्छलंति अप्पेगगइया तिग्निवि । अप्रेगइया उप्पयंति, अपगइया निवयंति अप्पेगइया परिवयंति, अंऐगइयातिनिवि । अरे गड्या सीहनायंति, अप्दैगइया दद्दरयं करेंति, अप्दैगइया भूमिचवेड दलयंति, अप्पेगइया तिन्निवि । अप्रेगइया गज्जति, अप्दैगइया विज्जुयायंति, अप्पेगंइया वासं वासंति, अप्पेगइया तिन्निवि
SR No.023121
Book TitleRai Paseniya Suttam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal B Gandhi
PublisherHiralal B Gandhi
Publication Year1938
Total Pages300
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & agam_rajprashniya
File Size18 MB
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