SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रायपसेणियसुत्त अप्पेगइया पूयणवत्तियाए, . अप्पेगइया सकारवत्तियाए, एवं संमाणवत्तियाए, कोउहलवत्तियाए “ अप्पेगइया असुयाई सुणि. स्सामो, सुयाई अट्ठाई हेऊई पसिणाई कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो, अप्पेगइया सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्तमाणा, अप्पेगइया अन्नमनमणुयत्तमाणा, अप्पेगइया जिणभत्तिरागेणं, अप्पेगइया धम्मोत्ति, अप्पेगइया जीयमेयं' त्ति कट्ट सविडीए जाव अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अतियं पाउभवति । १४ तए णं से सूरियाभे देवे ते सूरियार्भावमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य अकालपरिहीणा चेव अंतियं पाउम्भवमाणे पासइ। २ हट्टतुट्ट जाव हियए आभियोगिय देवं सद्दावेइ। २ एवं वयासी-"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखंभसयसन्निविटुं लीलट्टियसालभंजियागं ईहामियउसमतुरगनर'मगरविहगवालगकिंनररुरुसरभचमरकुंजरवणलयापउमलयात्तिचित्तं खंभुगयवरवइरवेइयापरिगयाभिरामं विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्तपिव अच्चीसहस्समालिणीय रूवगसहस्सकलिय भिसमाण भिभिसमाण चक्खुल्लोयणलेस्सं सुहफास सस्सिरीयरुवं घंटा. वलिचलियमहुरमणहरसरं सुहं कृतं दरिसणिज्जं णिउणोचियमिसिमिसिंतमणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं जोयणसयसहस्सविच्छिन्नं दिव्वं गमणस सिग्घगमणं नाम दिव्वं जाणं (जाणविमाणं) विउव्वाहि । विउवित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तिय पञ्चप्पिणाहि"। १५ तए णं से आभियोगिए देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हटे जाव हियए करयलपरिग्गहियं जाव पडिमुणेइ जाव पडिसुणेत्ता उत्तरपुरथिम दिसीमागं अवक्कमइ । २ वेउन्विय..
SR No.023121
Book TitleRai Paseniya Suttam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal B Gandhi
PublisherHiralal B Gandhi
Publication Year1938
Total Pages300
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & agam_rajprashniya
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy