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प्रस्तावना
किया जायगा । क्योंकि ज्योतिष और निमित्त शास्त्र की दृष्टि से यह ग्रन्थ उपयोगी है । जिन कृपालु पाठकों के पास या उनकी जानकारी में इसके अवशेष अध्याय हों, वे सूचित करने का कष्ट करेंगे ।
हरप्रसाद दास जैन कालेज, आरा संस्कृत एवं प्राकृत विभाग 11-10-1958
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नेमिचन्द्र शास्त्री