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________________ परिशिष्टाऽध्यायः 487 ॐ ह्रीं अम्बे कूष्माण्डिनी (नि) ब्राह्मणि वद वद वागीश्वरी (रि) स्वाहा । पुरवीथ्यां व्रजन शब्दमाद्यं श्रुत्वा शुभाशुभम् । स्मरन् व्यावर्तते तस्मादागत्य प्रविचारयेत् ।।161॥ रात्रि में प्रथम प्रहर में या प्रातःकाल में “ॐ ह्रीं अम्बे कूष्माण्डिनि ब्राह्मणि देवि वद वद वागीश्वरि स्वाहा' इस मंत्र का जापकर शुभाशुभ शब्द सुनने के निमित्त नगर में भ्रमण करे । इस प्रकार नगर की सड़कों और गलियों में भ्रमण करते समय जो भी शुभ या अशुभ शब्द पहले सुनाई पड़े, उसे सुनकर वापस लौट आवे और उसी शब्द के अनुसार शुभाशुभ फल अवगत करे। अर्थात् अशुभ शब्द सुनने से मृत्यु, वेदना, पीड़ा आदि फल तथा शुभ शब्द सुनने से नीरोगता, स्वास्थ्य-लाभ एवं कार्य-सिद्धि आदि शुभ फल प्राप्त होते हैं ।।160-161।। अहंदादिस्तवो राजा सिद्धिर्बुद्धिस्तु मंगलम् । वद्धिश्री जयऋद्धिश्च धनधान्यादिसम्पदः ।।1621 जन्मोत्सवप्रतिष्ठाद्या: देवेष्ट्यादिशुभक्रिया:। द्रव्यादिनामश्रवणाः शुभा: शब्दा: प्रकीर्तिताः ॥163॥ नगर में भ्रमण करते समय प्रथम शब्द अर्हन्त भगवान् का नाम, उनका स्तवन, राजा, सिद्धि, बुद्धि, वृद्धि, जय, चन्द्रमा, श्री ऋद्धि, धन-धान्य, सम्पत्ति, जन्मोत्सव, प्रतिष्ठोत्सव, देवपूजन, द्रव्यादिका नाम आदि शब्दों का सुनना शुभ बतलाया गया है।।162-163।। अम्बिकाशब्दनिमित्तं छत्रमालाध्वजागन्धपूर्णकुम्भादिसंयुतः। वृषाश्च गृहिणः पुंस: सपुत्रा: भूषितास्त्रियः ॥164॥ अम्बिका देवी, छत्र, माला, ध्वज, गन्ध युक्त कलश, बैल, गृहस्थ, पुत्र सहित अलंकृत स्त्री आदि का दर्शन सभी कार्यों में शुभ होता है। शब्द प्रकरण होने से उक्त वस्तुओं के नामों का श्रवण भी शुभ माना जाता है ।। 163-164॥ इत्यादिदर्शनं श्रेष्ठं सर्वकार्येष सिद्धिदम् । छत्रादिपातभंगादि दर्शनं शोभनं न हि ।।165॥ किसी भी कार्य के आरम्भ में छत्रभंग, छत्रपात आदि का दर्शन और शब्दश्रवण अशुभ समझा जाता है ! अर्थात् उक्त वस्तुओं के दर्शन या उक्त वस्तुओं के नामों को सुनने से कार्य सिद्धि में नाना प्रकार की बाधाएं आती हैं ॥1651 विशेष--वसन्तराज शकुन में शुभ-शकुनों का वर्णन करते हुए बताया है कि दधि, घृत, दूर्वा, तण्डुल-चावल, जल पूर्ण कुम्भ, श्वेत सर्षप, चन्दन, दर्पण, शंख,
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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