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________________ परिशिष्टाऽध्यायः स्वप्न में को गाना गाते हुए देखने से रोना, नाचना देखने से बधबन्धन, हँसना देखने से शोक-सन्ताप एवं गमन देखने से कलह आदि फल प्राप्त होते हैं ।।135।। सर्वेषां शुभ्रवस्त्राणां स्वप्ने दर्शनमुत्तमम् । भस्मास्थित कार्पासदर्शनं न शुभप्रदम् ॥136॥ स्वप्न में शुभ्र - श्वेत वस्त्र का देखना उत्तम फलदायक है किन्तु भस्म, हड्डी, मट्ठा और कपास का देखना अशुभ होता है | 136।। शुक्लमाल्यां शुक्लालङ्कारादीनां धारणं शुभम् । रक्तपीतादिवस्त्राणं धारणं न शुभं मतम् ॥137॥ 483 स्वप्न में शुक्ल माल्य और अलंकार आदि का धारण करना शुभ है । रक्तपीत एवं नीलादि वस्त्रों का धारण करना शुभ नहीं है ||137 मन्त्रज्ञः पापदूरस्थो वातादिदोषजस्तथा । दृष्टः श्रुतोऽनुभूतश्च चिन्तोत्पन्नः स्वभावजः ॥138॥ पुण्यं पापं भवेद्देवं मन्त्रज्ञो वरदो मतः । तस्मात्तौ सत्यभूतौ च शेषाः षट्निष्फलाः स्मृताः ॥139॥ स्वप्न आठ प्रकार के होते हैं -- पाप रहित मंत्र - साधना द्वारा सम्पन्न मंत्रज्ञ स्वप्न, वातादि दोषों से उत्पन्न दोषज, दृष्ट, श्रुत, अनुभूत, चिन्तोत्पन्न, स्वभावज, पुण्य-पाप के ज्ञापक दैव । इन आठ प्रकार के स्वप्नों में मंत्रज्ञ और दैव स्वप्न सत्य होते हैं । शेष छह प्रकार के स्वप्न प्रायः निष्फल होते हैं ।।138-139।। 1 मलमूत्रादिबाधोत्थ आधि-व्याधिसमुद्भवः । मालास्वभाव दिवास्वप्नः पूर्वदृष्टश्च निष्फलः ॥1401 मल-मूत्र आदि की बाधा से उत्पन्न होने वाले स्वप्न, आधि-व्याधि अर्थात् रोगादि से उत्पन्न स्वप्न, आलस्य इत्यादि से उत्पन्न स्वप्न, दिवा एवं स्वप्न जागृत अवस्था में देखे गये पदार्थों के संस्कार से उत्पन्न स्वप्न प्रायः निष्फल होते हैं ।।14।। शुभः प्रागशुभः पश्चादशुभः प्राक् शुभस्ततः । पाश्चात्यः फलदः स्वप्नः पूर्वदृष्टश्च निष्फलः ॥141॥ यदि स्वप्न पूर्व में शुभ पश्चात् अशुभ होते हैं, अथवा पूर्व में अशुभ और बाद में 'शुभ होते हैं तो बाद पश्चाद् अवस्था में देखा गया स्वप्न फलदायक तथा पूर्ववर्ती
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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