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________________ एकोनविंशतितमोऽध्यायः 347 में दुगुनी वृद्धि एवं उत्तर भारत के निवासियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है । कुम्भ के मंगल में खण्डवृष्टि, मध्यम फसल, खनिज पदार्थों की उत्पत्ति अत्यल्प, देश का आर्थिक विकास, धार्मिक वातावरण की वद्धि, जनता में सन्तोष और शान्ति रहती है। मीन राशि के मंगल में एक महीने तक समस्त भारत में सुख-शान्ति रहती है। जापान के लिए मीन राशि का मंगल अनिष्टप्रद है, वहाँ मन्त्रिमण्डल में परिवर्तन, नागरिकों में सन्तोष, खाद्यान्नों की कमी एवं अर्थ-संकट भी उपस्थित होता है । जर्मन के लिए मीन राशि का मंगल शुभ होता है। रूस और अमेरिका में परस्पर महानुभाव इसी मंगल में होता है । मीन राशि का मंगल धान्यों की उत्पत्ति के लिए उत्तम होता है । खनिज पदार्थों की कमी इसी मंगल में होती है। कोयला का भाव ऊँचा उठ जाता है। पत्थर, सीमेण्ट, चूना आदि के मूल्य में भी वृद्धि होती है। मीन राशि का मंगल जनता के स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं होता। ___ नक्षत्रों के अनुसार मंगल का प.ल-अश्विनी नक्षत्र में मंगल हो तो क्षति, पीड़ा, तृण और अनाज का भाव तेज होता है। समस्त भारत में एक महीने के लिए अशान्ति उत्पन्न हो जाती है। चौपायों में रोग उत्पन्न होता है। देश में हलचल होती रहती है। सभी लोगों को किसी-न-किसी प्रकार का कष्ट होता है । भरणी नक्षत्र में मंगल हो तो ब्राह्मणों को पीड़ा, गावों में अनेक प्रकार के कष्ट, नगरों में महामारी का प्रकोप, अन्न का भाव तेज और रस पदार्थों का भाव सस्ता होता है। मवेशी के मूल्य में वृद्धि हो जाती है तथा चारे के अभाव में मवेशी को कष्ट भी होता है । कृत्तिका नक्षत्र में मंगल के होने से तपस्वियों को पीड़ा, देश में उद्रव, अराजकता, चोरियों की वृद्धि, अनैतिकता एवं भ्रष्टाचार का प्रसार होता है। रोहिणी नक्षत्र में मंगल के रहने से वृक्ष और मवेशी को कष्ट, कपास और सूत के व्यापार में लाभ, धान्य का भाव सस्ता होता है। मृगशिर नक्षत्र में मंगल हो तो कपास का नाश, शेष वस्तुओं की अच्छी उत्पत्ति होती है । इस नक्षत्र पर मंगल के रहने से देश का आर्थिक विकास होता है। उन्नति के लिए किये गये सभी प्रयास सफल होते हैं। तिल, तिलहन की कमी रहती है तथा भैंसों के लिए यह मंगल विनाशकारक है। आर्द्रा नक्षत्र में मंगल के रहने से जल की वर्षा. सुभिक्ष और धान्य का भाव सस्ता होता है। पुनर्वसु नक्षत्र में मंगल का रहना देश के लिए मध्यम फलदायक है । बुद्धिजीवियों के लिए यह मंगल उत्तम होता है। शारीरिक श्रम करनेवालों को मध्यम रहता है । सेना में प्रविष्ट हुए व्यक्तियों के लिए अनिष्टकर होता है । पुष्य नक्षत्र में स्थित मंगल से चोरभय, शस्त्रभय, अग्निभय, राज्य को शक्ति का ह्रास, रोगों का विकास, धान्य का अभाव, मधुर पदार्थों की कमी एवं चोर-गुण्डों का उत्पात अधिक होने लगता है । आश्लेषा नक्षत्र में मंगल के स्थित रहने से शस्त्रघात, धान्य का नाश, वर्षा का अभाव, विषैले जन्तुओं का
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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