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________________ 312 भद्रबाहुसंहिता में हर्ष छाया रहता है। धर्म का प्रचार और प्रसार सर्वत्र होता है। सभी लोग सन्तुष्ट और प्रसन्न दिखलाई पड़ते हैं । मीन के शनि में खेती का अभाव, नाना प्रकार के भयानक रोगों की उत्पत्ति, वर्षा का अभाव, वृक्षों का भी अभाव, पवन का प्रचण्ड होना, तूफान और भूकम्पों का आना, भयंकर महामारियों का पड़ना, सब प्रकार से जनता का नाश और आतंकित होना एवं धन का नाश होना आदि फल घटित होते हैं। __ सभी राशियों में तुला और मीन के शनि को अनिष्टकर माना गया है। मीन का शनि धन-जन की हानि करता है और फसल को चौपट करने वाला माना जाता है। यदि मीन के शनि के साथ कर्क राशि का मंगल हो तथा इन दोनों के पीछे सूर्य गमन कर रहा हो तो निश्चय ही भयंकर अकाल पड़ता है । इस अकाल में धन-जन की हानि होती है, देश में अनेक प्रकार की व्याधियां उत्पन्न हो जाने से भी जनता को कष्ट होता है । वस्तुएँ भी महंगी होती हैं । व्यापारी वर्ग को भी मीन के शनि में लाभ नहीं होता। व्यापारी वर्ग भी अनेक प्रकार से कष्ट उठाता है । अन्नाभाव के कारण जनता में त्राहि-त्राहि उत्पन्न हो जाती है । शनि का उदय विचार-मेष में शनि उदय हो तो जलवृष्टि, मनुष्यों में सुख, प्रजा में शान्ति, धार्मिक विचार, समर्थता, उत्तम फसल, खनिज पदार्थों की उत्पत्ति अत्यधिक, सेवा की भावना, सहयोग और सहकारिता के आधार पर देश का विकास, विरोधियों की पराजय, एवं सर्वसाधारण में सुख उत्पन्न होता है। वृष राशि में शनि के उदय होने से तण-काष्ठ का अभाव, घोड़ों में रोग, अन्य पशुओं में भी अनेक प्रकार के रोग एवं साधारण वर्षा होती है। मिथुन में उदय होने से प्रचुर परिमाण में वर्षा, उत्तम फसल, धान्य-माल सस्ता एवं प्रजा सुखी होती है । कर्क राशि में शनि के उदय होने से वर्षा का अभाव, रसों की उत्पत्ति में कमी, वनों का अभाव, घी-दूध-चीनी की उत्पत्ति में कमी, अधर्म का विकास एवं प्रशासकों में पारस्परिक अशान्ति उत्पन्न होती है । कन्या में शनि का उदय हो तो धान्य नाश, अल्प वर्षा, व्यापार में लाभ और उत्तम वर्गों के व्यक्तियों को अनेक प्रकार का कष्ट होता है। तुला और वृश्चिक राशि में शनि का उदय हो तो महावृष्टि, धन का विनाश, चोरों का उपद्रव, उत्तम खेती, नदियों में बाढ़, नदी या समुद्र के तटवर्ती प्रदेशों के निवासियों को कष्ट एवं गेहूं की फसल का अभाव या कमी रहती है । धनु राशि में शनि का उदय हो तो मनुष्यों में अस्वस्थता, रोग, स्त्री और बालकों में नाना प्रकार की बीमारी, धान्य का नाश और जनसाधारण में अनेक प्रकार के अन्धविश्वासों का विकास होने से सभी को कष्ट उठाना पड़ता है । मकर में शनि का उदय हो तो प्रशासकों में संघर्ष, राजनीतिक उलट-फेर, चौपायों को कष्ट, तृण की कमी, वर्षा साधारण रूप में होना एवं लोहे का भाव महंगा होता है। कुम्भ राशि में शनि का उदय हो तो
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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