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________________ प्रस्तावना 39 है । शुक्रस्थान से शनिस्थान तक यदि रेखा जाय तथा यह रेखा शृंखला युक्त हो तो व्यक्ति का विवाह बड़ी कठिनाई से होगा । शुक्र और गुरु दोनों के स्थानों के उन्नत होने से संसार में प्रसिद्धि प्राप्त करता है । शनि के स्थान के उच्च होने से व्यक्ति अल्पभाषी, कलाप्रिय, एकान्तप्रिय, विचारक, दार्शनिक और भाग्यशाली होता है । शनि स्थान के नीचे होने से व्यक्ति भावुक, कमजोर और दुर्भाग्यशाली होता है । शनि और बुध दोनों स्थानों के उच्च होने से व्यक्ति क्रोधी, चोर और अधार्मिक होता है । इस निमित्त में योगों का विचार करते हुए बताया गया है कि जिस पुरुष की नाभि गहरी हो, नासिका का अग्र भाग सीधा हो, वक्षःस्थल रक्त वर्ण और पैर के तलवे कोमल तथा रक्तवर्ण के हों, वह सम्राट् के तुल्य प्रभावशाली होता है । ऐसा व्यक्ति अनेक प्रकार के सुख भोगता है तथा मन्त्री, नेता या किसी संस्था का निर्देशक होता है । जिसकी हथेली के मध्य कड़ा, अश्व, मृदंग, वृक्ष, स्तम्भ या दण्ड का चिह्न हो तो वह व्यक्ति समृद्धिशाली, धनी, सुखी और अद्भुत प्रभावशाली होता है । जिसका ललाट चौड़ा और विशाल, नेत्र कमलदल के समान, मस्तक गोल, और भुजाएँ जानुपर्यन्त हों, वह व्यक्ति नेता, राजमान्य, पूज्य, शक्तिशाली और सुखी होता है । जिसके हाथ में फूल की माला, घोड़ा, कमलपुष्प, धनुष, चक्र, ध्वजा, रथ और आसन का चिह्न हो वह जीवन में सदा आनन्द भोगता है, उसके घर में लक्ष्मी का निवास सदा रहता है । स्पष्ट, जिसके हाथ की सूर्य रेखा, मस्तक रेखा से मिली हो और मस्तक रेखा से , सीधी होकर ऊपर गुरु की ओर झुकने से वहाँ चतुष्कोण बन जाय वह प्रधान मन्त्री या मुख्य नेता होता है। जिसके हाथ के सूर्य गुरु पर्वत उच्च हों और शनि एवं बुध रेखा पुष्ट, सष्ट और सीधी हो वह राज्यपाल या गवर्नर होता है । जिसके हाथ के शनि पर्वत पर त्रिशूल चिह्न हो, चन्द्ररेखा का भाग्य रेखा से शुद्ध सम्बन्ध हो या भाग्यरेखा हथेली के मध्य से प्रारम्भ होकर उसकी एक शाखा गुरुपति पर और दूसरी सूर्य पर्वत पर जाय वह उच्च राज्याधिकारी और गुणग्राही होता है । जिसके हाथ के गुरु और मंगल पर्वत उच्च हों तथा मस्तक रेखा में सर्प का चिह्न हो या बुधांगुली नुकीली और लम्बी हो एवं नख चमकदार हों, वह राजदूत बनता है | जिसके बायें हाथ की तर्जनी और कनिष्ठिका की अपेक्षा दाहिने हाथ की वे ही अँगुलियाँ मोटी और बड़ी हों, मंगल पर्वत अधिक ऊँचा उठा हो और सूर्य रेखा प्रबल हो वह जिलाधीश या कमिश्नर होता है । जिसके हाथ के गुरु, शनि सूर्य और बुध पर्वत उच्च हों, अँगुलियाँ लम्बी होकर उनके ऊपरी भाग मोटे हों, सूर्य रेखा प्रबल हो और मध्यमांगुली का दूसरा पर्व लम्बा हो, वह शिक्षा विभाग का उच्च पदाधिकारी होता है । जिसके हाथ की हृदय रेखा और मस्तक रेखा के बीच एक चौड़ा चतुष्कोण
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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