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________________ त्रयोदशोऽध्यायः 215 दबाकर रखा हो और बायें भाग में स्थित हो तो मृत्यु या नाना प्रकार के कष्ट होते हैं। यदि चोंच में काक हड्डी दबाये हो तो अशुभ फल होता है । वाम भाग में सूखे वृक्ष पर काक स्थित हो तो अतिरोग, खाली या तीखे वृक्ष पर बैठा हो तो यात्रा में कलह और कार्यनाश एवं काँटेदार वृक्ष पर स्थित होकर रूखा शब्द करे तो यात्रा में मृत्यु होती है। भग्नशरण के वृक्ष पर स्थित काक कठोर शब्द करता हो तो यात्रा में धनक्षय, कुटुम्बी मरण एवं नाना तरह से अशुभ होता है। यदि छत पर बैठकर काक बोलता हो तो यात्रा नहीं करनी चाहिए। इस शकुन के होने पर यात्रा करने से वज्रपात—बिजली गिरती है। यदि कूड़े के ढेर पर या राख-भस्म के ढेर पर स्थित होकर काक शब्द करे तो कार्य का नाश होता है। अपयश, धनक्षय एवं नाना तरह के कष्ट यात्रा में उठाने पड़ते हैं। लता, रस्सी, केश, सूखी लकड़ी, चमड़ा, हड्डी, फटे-पुराने चिथड़े, वृक्षों की छाल, रुधिरयुक्त वस्तु, जलती लकड़ी एवं कीचड़ काक की चोंच में दिखलाई पड़े तो यात्रा में पापयुक्त कार्य करने पड़ते हैं, यात्रा में कष्ट होता है, धनक्षय या धन की चोरी, अचानक दुर्घटनाएं आदि घटित होती हैं। आयुध, छत्र, घड़ा, हड्डी, वाहन, काष्ठ एवं पाषाण चोंच में रखे हुए काक दिखलाई पड़े तो यात्रा करने वाले की मृत्यु होती है। एक पाँव समेटकर, चंचल चित्त होकर जोर-जोर से कठोर शब्द करता हो तो काक युद्ध, झगड़े, मार-पीट आदि की सूचना देता है। यदि यात्रा करते समय काक अपनी बीट यात्रा करने वाले के मस्तक पर गिरा दे तो यात्रा में विपत्ति आती है। नदी तट या मार्ग में काक तीव्र स्वर बोले तो अत्यन्त विपत्ति की सूचना समझ लेनी चाहिए । यात्रा के समय में यदि काक रथ, हाथी, घोड़ा और मनुष्य के मस्तक पर बैठा दीख पड़े तो पराजय, कष्ट, चोरी और झगड़े की सूचना समझनी चाहिए। शास्त्र, ध्वजा, छत्र पर स्थित होकर काक आकाश की ओर देख रहा हो तो यात्रा में सफलता मिलनी चाहिए। ___ यात्रा में उल्लू का विचार-यदि यात्रा काल में उल्लू बायीं ओर दिखलाई पड़े तथा उल्लू अपना भोजन भी साथ में लिये हो तो यात्रा सफल होती है। यदि उल्लू वृक्ष पर स्थित होकर अपना भोजन संचय करता हुआ दिखलाई पड़े तो यात्रा करने वाला इस यात्रा में अवश्य धन लाभ कर लौटता है। यदि गमन करने वाले पुरुष के वाम भाग में उल्लू का प्रशान्तमय शब्द हो और दक्षिण भाग में असम शब्द हो तो यात्रा में सफलता मिलती है । किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है । यदि यात्रा कर्ता के वाम भाग में उल्लू शब्द करता हुआ दिखलाई पड़े अथवा बायीं ओर से उल्लू का शब्द सुनाई पड़े तो यात्रा प्रशस्त होती है। यदि पृथ्वी पर स्थित होकर उल्लू शब्द कर रहा हो तो धनहानि; आकाश में स्थित होकर शब्द कर रहा हो तो कलह; दक्षिण भाग में स्थित होकर शब्द कर रहा
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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