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________________ 95 अष्टमोऽध्यायः रक्तवर्णो यदा मेघः शान्तायां दिशि दृश्यते। स्निग्धो मन्तगतिश्चापि तदा विन्द्याज्जलं शुभम् ॥4॥ लाल वर्ण के तथा स्निग्ध और मन्द गति बाले मेघ पश्चिम दिशा में दिखलाई दें तो अच्छी जल-वृष्टि होती है ।।4।। शुक्लवर्णो यदा मेघः शान्तायां दिशि दृश्यते। स्निग्धो मन्दगतिश्चापि निवृत्त:' स जलावहः ॥5॥ श्वेत वर्ण के स्निग्ध और मन्द गति वाले पश्चिम दिशा में दिखलाई दें तो जितना जल उनमें रहता है उतनी वर्षा करके वे निवृत्त हो जाते हैं ।।5।। स्निग्धाः सर्वेषु वर्णेषु स्वां दिशं संसता यदा। स्वर्ण विजयं कुर्युदिक्षु शान्तासु ये स्थिता: ॥6॥ यदि पश्चिम दिशा में स्थित मेघ स्निग्ध हों तो सब वर्गों की विजय करते हैं और अपने-अपने वर्ण के अनुसार अपनी-अपनी दिशा में स्निग्ध मेघ स्थित हों तो वर्ण के अनुसार जय करते हैं ।।6।। जाति क्षत्रिय वैश्य जातिवर्ण श्वेत पीत कृष्ण जातिदिशा उत्तर पूर्व दक्षिण पश्चिम यथास्थितं शुभं मेघमनुपश्यन्ति पक्षिण: । जलाशयः जलधरास्तदा विन्द्याज्जलं शुभम् ॥7॥ यदि शुभ मेघ पक्षिगण और जलाशय रूप दिखलाई दें तो अच्छी वर्षा होती है और यह वर्षा फसल को अधिक लाभ पहुंचाती है ॥7॥ स्निग्धवर्णाश्च ते (ये) मेघा स्निग्धाश्च ते (ये) सदा। मन्दगा: सुमुहूर्ताश्च ये (ते) सर्वत्र जलावहाः ॥8॥ यदि स्निग्ध-सौम्य, मृदुल शब्द वाले, मन्द गति वाले और उत्तम मुहूर्त वाले मेघ दिखलाई पड़ें तो सर्वत्र वर्षा होती है ॥8॥ सुगन्धगन्धा ये मेघाः सुस्वरा: स्वादुसंस्थिताः । मधुरोदकाश्च ये मेघा जलायी जलदास्तथा ॥9॥ ब्राह्मण शूद्र रक्त 1. विज्ञेयः मु. C. । 2. जयावहः मु०८.। 3. सवर्ण मु० । 4. अभ्र मु. C. । 5. पश्यति मु० C. । 6. दक्षिण: मु. C. । 7. शिवम् मु० । 8. मुखरा मु. A सुस्विना: मु. C. . 9. मधुरतोयाः मु० C. । 10. ज्ञेया मु० C. I 11. जलदा मु० C
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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