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________________ भद्रबाहुसंहिता है । यदि आकाश में कहीं कृष्ण-श्वेत मिश्रित वर्ण के मेघ आच्छादित हों, कहीं श्वेत वर्ण के ही स्थित हों, कहीं कुण्डली आकार में स्थित हों, कहीं बिजली चमकती हुई मेघों में दिखलाई पड़ें, कहीं कुमकुम और टेसू के पुष्प के समान रंग के बादल सामने दिखलाई पड़ें, कहीं मेघों के इन्द्र-धनुप दिखलाई पड़ें तो आगामी वर्ष में साधारणतः वर्षा होती है । आचार्यों ने ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी से आपाढ़ शुक्ल तक के मेघों का फल विशेष रूप से प्रतिपादित किया है । 80 विशेष फल - यदि ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को प्रातः निरभ्र आकाश हो और एकाएक मेत्र मध्याह्नकाल में छा जायें तो पौष मास में वर्षा की सूचना देते हैं तथा इस प्रकार के मेघों से गुड़, चीनी आदि मधुर पदार्थों के महँगे होने की भी सूचना समझनी चाहिए। यदि इसी तिथि को रात्रि में गर्जन तर्जन के साथ बूंदाबूंदी हो और पूर्व दिशा में बिजली भी चमके तो आगामी वर्ष में सामान्यतया अच्छी वर्षा होने की सूचना देते हैं । यदि उपर्युक्त स्थिति में दक्षिण दिशा में बिजली चमकती है तो दुर्भिक्ष सूचक समझना चाहिए। ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हो और इस दिन उत्तर दिशा की ओर से मेघ एकत्र होकर आकाश को आच्छादित करें तो वस्त्र और अन्न सस्ते होते हैं और आषाढ़ से आश्विन तक अच्छी वर्षा होती है, सर्वत्र सुभिक्ष होने की सूचना मिलती है । केवल यह योग चूहों, सर्पों और जंगली जानवरों के लिए अनिष्टप्रद है । उक्त तिथि को गुरुवार, शुक्रवार और मंगलवार में से कोई भी दिन हो और पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर से बादलों का उमड़ना आरम्भ हो रहा हो तो निश्चयतः मानव, पशु, पक्षी और अन्य समस्त प्राणियों के लिए वर्षा अच्छी होती है । ज्येष्ठ शुक्ला षष्ठी को आकाश में मंडलाकार मेघ संचित हों और उनका लाल या काला रंग हो तो आगामी वर्ष में वृष्टि का अभाव अवगत करना चाहिए। यदि इस दिन बुधवार और मघा नक्षत्र का योग हो तथा पूर्व या उत्तर से मेघ उठ रहे हों तो श्रावण और भाद्रपद में वर्षा अच्छी होती है, परन्तु अन्न का भाव महँगा रहता है। फसल में कीड़े लगते हैं तथा सोना, चाँदी आदि खनिज धातुओं के मूल्य में भी वृद्धि होती है । यदि ज्येष्ठ शुक्ला षष्ठी रविवार को हो और इस दिन पुष्य नक्षत्र का योग हो तो मेघ का आकाश में छाना बहुत अच्छा होता है । आगामी वर्ष वृष्टि बहुत अच्छी होती है, धन-धान्य की उत्पत्ति भी श्रेष्ठ होती है । ज्येष्ठ शुक्ला सप्तमी शनिवार को हो और इस दिन आश्लेषा नक्षत्र का भी योग हो तो आकाश में श्वेत रंग के बादलों का छा जाना उत्तम माना गया है । इस निमित्त से देश की उन्नति की सूचना मिलती है । देश का व्यापारिक सम्बन्ध अन्य देशों से बढ़ता है तथा उसकी सैन्य और अर्थ शक्ति का पूर्ण विकास होता
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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