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________________ 40 भद्रबाहुसंहिता योग को अत्यन्त अनिष्टकारक माना है। द्वितीया विद्ध माघ मास की कृष्ण प्रतिपदा को उल्कापात हो तो आगामी वर्ष फसल बहुत अच्छी उत्पन्न होती है और अनाज का भाव भी सस्ता हो जाता है। तृतीया विद्ध द्वितीया को रात्रि के पूर्वभाग में उल्कापात हो तो सुभिक्ष और अन्न की उत्पत्ति प्रचुर मात्रा में होती है। चतुर्थी विद्ध तृतीया को कभी भी उल्कापात हो तो कृषि में अनेक रोग, अवृष्टि और अनावर्षण से भी फसल को क्षति पहुंचती है । पंचमी विद्ध चतुर्थी को उल्कापात हो तो साधारणतया फसल अच्छी होती है। दालों की उपज कम होती है, अवशेष अनाज अधिक उत्पन्न होते हैं । तिलहन, गुड़ का भाव भी कुछ महंगा रहता है। इन वस्तुओं की फसल भी कमजोर ही रहती है। षष्ठी विद्ध पंचमी को उल्कापात हो तो फसल अच्छी उत्पन्न होती है। सप्तमी विद्ध षष्ठी को मध्यरात्रि के कुछ ही बाद उल्कापात हो तो फसल हल्की होती है । दाल, गेहूँ, बाजरा और ज्वार की उपज कम ही होती है । अप्टमी विद्ध सप्तमी को रात्रि के प्रथम प्रहर में उल्कापात हो तो अतिवृष्टि से फसल को हानि, द्वितीय प्रहर में उल्कापात हो तो साधारणतया अच्छी वर्षा, तृतीय प्रहर में उल्कापात हो तो फसल में कमी और चतुर्थ प्रहर में उल्कापात हो तो गेहूं, गुड़, तिलहन की खूब उत्पत्ति होती है। नवमी विद्ध अप्टमी को शनिवार या रविवार हो और इस दिन उल्कापात दिखलाई पड़े तो निश्चयत: चने की फसल में क्षति होती है। दशमी, एकादशी और द्वादशी तिथियाँ शुक्रवार या गुरुवार को हों और इनमें उल्कापात दिखलाई पड़े तो अच्छी फसल उत्पन्न होती है। पूर्णमासी को लाल रंग या काले रंग का उल्कापात दिखलाई पड़े तो फसल की हानि, पीत और श्वेत का उल्कापात दिखलाई पड़े तो श्रेष्ठ फसल एवं चित्र-विचित्र वर्ण का उल्कापात दिखलाई पड़े तो सामान्य रूप से अच्छी फसल उत्पन्न होती है । होली के दिन होलिकादाह से पूर्व उल्कापात दिखलाई पड़े तो आगामी वर्ष फसल की कमी और होलिकादाह के पश्चात् उल्कापात नीले रंग का विचित्र वर्ण का दिखलाई पड़े तो अनेक प्रकार से फसल को हानि पहुंचती है। वैयक्तिक फलादेश-सर्प और शूकर के समान आकारयुक्त शब्द सहित उल्कापात दिखलाई पड़े तो दर्शक को तीन महीने के भीतर मृत्यु या मृत्युतुल्य कष्ट प्राप्त होता है। इस प्रकार का उल्कापात आर्थिक हानि भी सूचित करता है। इन्द्रधनुष के आकार समान उल्कापात किसी भी व्यक्ति को सोमवार की रात्रि में दिखलाई पड़े तो धन हानि, रोग वृद्धि तथा मित्रों द्वारा किसी प्रकार की सहायता की सूचक, बुधवार की रात्रि में उल्कापात दिखलाई पड़े तो वस्त्राभूषणों का लाभ, व्यापार में लाभ और मन प्रसन्न होता है । गुरुवार की रात्रि में उल्कापात इन्द्रधनुष के आकार का दिखलाई पड़े तो व्यक्ति को तीन मास में आर्थिक
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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