SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ii] प्रायोगिक पक्ष- अभिनय, संवाद, वेशभूषा, रङ्गमञ्च-सज्जा इत्यादि का यत्रतत्र नगण्य सङ्केत मात्र प्राप्त होता है। फिर भी शिङ्गभूपाल द्वारा किया गया नाट्यकला का सन्तुलित, विस्तृत, तात्त्विक और स्पष्ट निरूपण अपने आप में महत्त्वपूर्ण है। इस ग्रन्थ से शिङ्गभूपाल की क्रमवद्ध और सूक्ष्म विवेचन करने की अद्भुत शक्ति का परिचय मिलता है। समालोचनात्मक स्थलों पर पद्य और गद्य दोनों विधाओं का प्रयोग करके पतिपाद्य विषय को स्पष्ट बना दिया गया है। यह ग्रन्थ परवर्ती नाट्यशास्त्रकारों और नाट्यकारों के लिए प्रेरणादायक है। ऐसे महत्त्वपूर्ण नाट्यशास्त्रीय ग्रन्थ की अद्यावधि हिन्दी नहीं हो सकी थी जिससे हिन्दी भाषा के माध्यम से संस्कृत के अध्येताओं को कठिनाई का सामना करना पड़ता था। इसी अभाव की पूर्ति हेतु यह हिन्दी संस्करण तैयार किया गया है। इससे यदि अध्येताओं का थोड़ा भी लाभ हुआ तो मैं परिश्रम को सार्थक समदूँगा। स्खलन मानव स्वभाव है, त्रुटियाँ सम्भावित है। अत: विज्ञजन सत्सुझाव देने का कष्ट करेंगे तो आगामी संस्करण में सुधार हो जाएगा। इस संस्करण की पूर्णता में करुणासागर भगवान् श्रीराम की इच्छा ही प्रबल हेतु है क्योंकि उस इच्छा के अभाव में सृष्टि का कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं होता। भईया डॉ. केशव प्रसाद पाठक, उपाचार्य; संस्कृत, पी.जी.कालेज, जगतपुर, वाराणसी का स्नेह तो सदैव विद्यमान रहता है, इसके लिए उनके प्रति नमन के अतिरिक्त मेरे पास कुछ नहीं है। अनुज-कल्प डॉ. विजयशङ्कर पाण्डेय, उपाचार्य; पी.जी.कालेज, कोयलसा, आजमगढ़ तथा डॉ कृष्णदत्त मिश्र, उपाचार्य; म. गां. काशी विद्यापीठ; वाराणसी को भी मैं शुभाशीष दिये बिना नहीं रह सकता जो समय-समय पर इस कार्य में मेरा उत्साहवर्द्धन करते रहे। अन्त में इस ग्रन्थ के प्रकाशन में चौखम्बा संस्कृत सीरीज के सञ्चालक टोडर भईया भी धन्यवाद के पात्र हैं जिनके सहयोग से यह कार्य विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत हो सका है। अक्षर सज्जा के लिए साफ्टकाम्प(ग्राफिक्स) के सञ्चालक श्री कौशल कुमार पाण्डेय भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस कार्य को पूरी संलग्नता और परिश्रम के साथ सम्पन्न किया है। अस्तुविजयादशमी-२००३ विद्वच्चरणानुरागी जमुना पाठक
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy