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. अर्थात्-जम्बू द्वीप के भारत वर्ष में अवसर्पिणी समा में सात कुलकर हुए, । वे इस प्रकार. प्रथम-विमलवाहन १, चक्षुष्मान २, यशस्वी ३, चौथा अभिचन्द ४, उसके बाद पाँचवाँ प्रसेनजित् ५, छठा मरुदेव ६ और सातवाँ नाभि ।
___ कुलकरों की दण्ड नीति ' कुलकरों की दण्डनीति के विषय में आवश्यक सूत्र की नियुक्ति में ग्रन्थकार लिखते हैं।
"हकारे मक्कारे धिक्कारे चेव, दण्डनीईओ । वुच्छं तासि विसेसं, जहकम्मं आणु पुच्चीए ॥ १६० पढ़म वियाण पदमा, तइय घउत्थाण अभिनवावीया । पंचम छट्ठस्स य, सत्तमस्स तइया अभिनवाउ ॥१६८॥
टिप्पणी-१ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में उपर्युक्त सात ७ कुलकरों के
अतिरिक्त पाठ नाम और मिला कर कुल पन्द्रह १५ कुलकर
वताये हैं । जो निम्न लिखित पाठ से ज्ञात होगा।तीसेण समाए पच्छिमेति भाए पलिपोव मट्ठभागावसेसे एत्थणं इमे पारस कुलगरा समुवजित्था; तंजहा
सुमई १, पडिस्सुई २, सीमंकरे ३, सीमंधरे ४, खेमंकरे ३, खेमंधरे ६, विमलवाहणे ७, चक्खुमं ८, जसमं ६, अभिचन्दे १०, चन्दाभे ११, पसेणइ १२, मरूदेवे १३, णाभि १४, उसमे १५ ति"।
(सूत्र २८) पृ.१३२