________________
बुद्ध के अन्तिम भोजन सम्बन्धी उक्त प्रकरण में कुछ बातें ऐसी हैं जो सूकर महव और बुद्ध की मानसिक शारीरिक स्थिति पर प्रकाश डालती हैं। .
१-चुन्द के घर जाकर आसन पर बैठते ही बुद्ध चुन्द को बुलाते हैं, और सूकर महव अपने पात्र में पिरसने की . सूचना करते हैं। इससे विदित होता है कि सूकर महब की हकीकत चुन्द द्वारा भिक्षुओं और भिक्षु द्वारा बुद्ध तक पहुँच चुकी थी कि वह एक विशेष प्रकार से बनवाया हुआ विशिष्ट खाद्य है और उसमें मूल्यवान् पदार्थ डाले गये हैं। बुद्ध यह नहीं चाहते थे कि ऐसे विकृति कारक उत्तेजक चीज डाल कर बनाया गया खाना अपने भिक्षु खांय, यही कारण है कि वे जमीनदोज करवा देते हैं। इससे पाया जाता है कि सूकर महव सूकर कन्द की बनावट होने पर भी उसमें केशर कस्तूरी आदि बहुमूल्य उत्तेजक पदार्थ डाले गये थे।
२-सूकर महव की दुर्जरता के सम्बन्ध में बुद्ध कहते हैंयह भोजन बुद्ध को छोड़कर संसार भर में ऐसा कोई देव मनुष्य नहीं है जो इसे खाकर पचा सके । बुद्ध की यह कोरी डींग नहीं है पर उनके अनुभव का निचोड़ है। बुद्ध की जठराग्नि बड़ी व्यवस्थित थी, वे प्रतिदिन नियमित समय में एक बार भोजन करते थे, और उनका आहार बहुधा प्रणीत होता था। इसी कारण से वे उसे आमिष कहा करते थे। अपनी इस तन्दुरुस्ती
और जठर शक्ति से उनका खयाल बन गया था कि मेरे जैसा गरिष्ठ भोजन को पचाने वाला दूसरा कोई नहीं है। . . .