________________
(3)
सागरोपम का, पाँचवाँ इक्कीस (२१) हजार वर्ष का और बठा भी इक्कीस (२१) हजार वर्ष का होता है ।
वर्तमान समय अवसर्पिणी समा का पञ्चम अरक हैं इसके अब तक चौबीस सौ चौरास ' वर्ष बीत चुके हैं। समय दानिशील' होने के कारण प्रतिदिन प्रत्येक पदार्थ में से सत्व घटता रहेगा, चतुर्थ और पञ्चम अरक का भगवान् महावीर ने सभा के सामने जो वर्णन किंवा ' था, उसे हम यहाँ उद्धत करते हैं ।
आपने कहा तीर्थकरों के समय में यह भारतवर्ष धन धान्य से समृद्ध, नगर-प्रामों से व्याप्त स्वर्ग-सदृश होता है । तत्कालीन प्राम नगर-समान, नगर देवलोक-समान; कौटुम्बिक राजा - तुल्य, और राजा कुबेर-तुल्य समृद्ध होते हैं । उस समय श्राचार्य चन्द्र समान, माता-पिता देवता समान, सास मातासमान, श्वसुर पिता समान होते हैं। तत्कालीन जन-समाज धर्मा धर्मा-विज्ञ, विनीत, सत्य-शौच सम्पन्न, देव गुरु-पूजक, और arr - संतोष होता है। विज्ञान वेत्ताओं की कदर होती है, कुल, शील तथा विज्ञान का मूल्य होता है । लोग इति, उपद्रव, भय, और शोक से मुक्त होते हैं। राजा जिन भक्त होते हैं, और जैन धर्म-विरोधी बहुधा अपमानित होते हैं।
sex
यह सब आज तक था। अब जब वोपन उत्तम पुरुष व्यतीत हो जायेंगे, और केबली, मनः पर्ययज्ञानी अवधिज्ञानी, तथा श्रुती इन सब का विरह हो जायेगा, तब भारतवर्ष की दशा इसके विपरीत होती जायगी। प्रतिदिन मनुष्य-समाज