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२३ पंक्ति का अवशेष २५०
पाठ :
काम
श्रपिक
सुत्ती भद्धवे
निर्लोमत
किखंदि
धारिण
ध्यानता
"
मांसं
भिक्ख
भिक्खुणी
पडवा ये
सेन्झाई
इकखाग
कखकुलाि
नरे
अद
शौल्ककोहाग
पुग्गवं
बड़ उज्मुय
जिसके
निबन्धेणं
कमि
( ११ )
२५१
२५१
३५१
O
२५१
२५१
२५२
२५२
२५३
२५३
२५४
२५४
२५४
२५४
२५४
२५४
२५४
२५४
२५४
२५५
२५६
२५६
२५७
२५६
२५६
१२
૨૦
१
११.
१२
१६
५
X
१२
१३
३
११
११
१२
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१४
१६
१६
x
उपधि दस ग्यारह
तथा बारह
काम में
औधिक
मुन्ती
महवे
निर्लोभता
चक्खिदिय
घाणि
ध्यासनता
99
मांग
भिक्खू
भिक्खुण
पडियाये
सेज्जाई
इक्खाग
रक्खगकुलाि
अण्णतरेसु
अटु
शौल्क
पुग्गलं
बहुं उज्झिय
D. निम्बधेयाँ कमि
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