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सावयां पुष्पमिष वर्धनान मर्दास्थि
१७० १७०३ १७० १७६
सावया पुष्पामिष वर्धमान मर्दास्थि " गई होगा
घाएण पिटेण सुरा
कई
१७८ १७६
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१८०
१८१
होंगे धाएण. पिट्टण सुहा निर्वाण सकीर्ण अट्टिय तैलं. नीचे
निर्माण
MW
संकीर्ण
नीच
१८३ १८६
अट्टिय १८६ १८७ १८६ - ११ में अनुसन्धित स्थल
निर्ग्रन्थ श्रमण उनको ग्रहण करते हैं, और - इस अपेक्षा से जैन श्रमण मृत""गये हैं। २००
अपने २००
आपस्तम्बीय
हरिभद्र २०३
रसापणो २०४
रसापण २०४
रसापणे रसापण
अबने
२०२
आपस्तण्वीय हरिप्रभ रसायणो रसायण रसायणे रसायण
२०४.