________________
( ३५६ ) का दान देने से बुद्धि होती है, और ऊँट को मार दे तो कृष्ण गौ का दान देने से मारने वाला शुद्ध होता है।
मण्डूकनकुलकाकठिम्बदहरमूषिकश्वहिंसासु च ॥ २१ ॥ -(भाज्यांश)-एतेषां समुदाक्वधे शूद्रहत्याव्रतं चरेत् इति द्रष्टव्यम्।
मारिनकुलौ हत्वा, चार्ष मण्डूकमेव च । श्वागोधोलूककाकांश्च, शूद्रहत्याव्रतं चरेत् ॥१॥ हत्वा हंसं वलाकं च, बकं वहिणमेव च । वानरं श्वेनभासौ च, स्पर्शयेत् ब्राह्मणाय गाम् ॥२॥ । हंसानां च मयूराणां, जलस्थानां च पक्षिणाम् । कपीनां श्वेनभासावां, वधे दद्यात् पणं द्विजः ॥३॥ 'गर्दभाजाविकानां तु, दण्डःस्यात्पञ्चमाषकः।। माषिकस्तु भवेद् दण्डः, श्वशूकर निपातने ॥४॥ सर्प लोहदण्डः ॥२७॥ अर्थः-मेंढक, नौवला, कौआ, ठिम्ब, छोटा चूहा, इन की सामुदायिक हिंसा में शूद्रहत्या के प्रायश्चित्त का व्रत करना , चाहिए।
दिली, नौवला, चाप पक्षी, मेंढक, कुत्ता, गोह, उलूक, कौआ इन को मार दे तो शूद्रहत्या का प्रायश्चित्त करे।
हंस, बलाका, बगुला, मोर, बन्दर, वाज, मास पक्षी, इनकी हत्या कर देने पर ग्रामण को गोदान करने से शुद्धि होती है।