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( २६४) १७. बह रनोहररण, मुखवस्त्र, कटिपट्ट, दण्ड, तथा अन्य भावश्यक वस्त्र, पात्र, पुस्तक के अतिरिक्त कोई परिग्रह नहीं रखता
१८. उस का दण्ड लकडी का होता है, जो उसके कानों तक पहुँचे इतना लम्बा होता है।
१६. उसके भोजन-पात्र, तथा जल-पात्र, तुम्बे लकड़ी अथवा मिट्टी के होते हैं।
२०. वह अपने पास किसी प्रकार का द्रव्य सिक्का नोट धातु आदि नहीं रखता है।
२१. वह भूमि पर सोता है, मात्र वर्षा काल में लकड़ी के पट्टों पर पथारो करता है, चार पाई पलङ्ग, आदि पर नहीं सोता है।
२२. वह सूर्यास्त के बाद अपना स्थान छोड़कर कहीं नहीं जाता है।
२३. वह शीत काल तथा उष्ण काल में एक स्थान में मास से अधिक नहीं रहता है।
२४. वह वर्षा काल में चार मास तक एक स्थान में रहता है।
२५. वह अपने बिहार में किसी प्रकार के यान वाहन का उपयोग नहीं करता है।
२६. विहार में वह अपना सामान स्वयं लेकर चलता है ।
२७. वह अल्म मूल्यक श्वेतवस्त्रों के सिवाय अन्य रंग के वस्त्र नहीं पहनता है। ..