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________________ डेन्टल एसोसिएशन की स्कूल के विद्यार्थियों के दाँत तपासने से मालूम हुआ कि १०५००० में से ८९२५ दन्त रोगी पाये गये उसका कारण निरोगी आहार का अभाव है। .. "प्रोफेसर कीथ का भी अभिप्राय है कि मांसाहार बराबर नहीं चवाया जाने से दाँत, गला और नाक के दर्दो को उत्पन्न करता है।' . “डा पोल कार्टन कहते हैं कि डाक्टरी अनुभव से यह प्रमाण सिद्ध हुआ है कि मांस की खुराक डील्पेसिया एपेन्डी साइटीस आदि दर्दो को उत्पन्न करने में अग्रतम स्थान रखती है। टाईझोर्ड संग्रहणी इत्यादि दों को बढ़ाता है और क्षय एवं नासूर सदृश प्राण घातक दों के जन्तुओं को प्रविष्ट होने में सहायक होता है।" ___ डा० कोभन्सबेली ने जाहिर किया है कि वर्तमान समय में एपेन्डी साइटीस यह सामान्य दर्द होरहा है और उसका कारण हम लोगों की खाने पीने की कुप्रथा के अन्तर्गत हैं । वे कहते हैं कि पशु पक्षियों के मांस में एपेन्डी साइटीस के जन्तु होने से शरीर मैं रहै हुए मांस को उसका चैप लगता है। डा० शेम्पोनीजर को यह ज्ञान हुआ था कि रूमानियाँ के २०,००० दर्दी की जो अन्न, कल, शाक पर निर्वाह करते हैं उनमें से सिर्फ एक व्यक्ति को ही सनाया था। , परन्तु मांसभामा ददियों से हर २२१ मनुष्क के पीछे एक मनुष्य को यह दर्द बुना था। फ्रेंच लस्कर के सर्जन जनरल की
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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