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________________ उपाध्यायपदना नमस्कार पदोना अर्थ॥ (७९) ४ श्री समवायांग सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर. ५ श्री भगवतीअंग सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर. ६ श्रीज्ञाताधर्मकथांग सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर, ७ श्री उपाशकदशांग सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर. ८ श्री अंतगडदशांग सूत्रभणवा भणाववामां तत्पर. ९ श्री अणुत्तरोववाइय सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर. १० श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर. ११ श्री विपाकअंग सूत्र भणवा भणाववामां तत्पर. १२ एक क्रोड पदप्रमाण द्रव्यना उत्पाद, व्यय अने ध्रौव्यपणानुं स्वरूप बतावनार पहेलू उत्पाद पूर्व भणवा भणाववामां तत्पर, १३ ९६ लाख पदप्रमाण, सर्व प्रकारना बीजनी कुल संख्या बतावनार बीजुं अग्रायणीय पूर्व भणवाभ णाववामां तत्पर, १४ ७० लाख पदप्रमाण, वीर्य जे बळ-प्रयत्न तेनो अर्थ वीर्यचन्तनुं स्वरूप कहेनार त्रीजुं वीर्यप्रवाद . भणवा भणाववामां तत्पर.
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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