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नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥
श्री आचार्यपद नमस्कार पूर्वक तन्मयतासूचक खमासमणना दूहा ॥
छत्रीश छत्रीशी गुणे, युग प्रधान मुणींद । निजमत परमत जाणता, नमो तेह सूरींद ॥१॥ ध्यातां आचारज भला, महामंत्र शुभ ध्यानीरे । पंचप्रस्थाने आतमा, आचारज होय प्राणीरे ॥ १ ॥ ॥ वीर० ॥२॥
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प्रदक्षिणा दइ स्वस्तिक करी खमा० देइ बोलवाना आचार्य पदना ३६ गुणगर्भित नमस्कार पदो.
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१ श्रप्रतिरूपगुणविभूषिताय श्रीआचार्याय नमः २ श्रतेिजस्वितागुणविभूषिताय श्रीआचार्याय नमः ३ श्रीयुग प्रधानागमगुणविभूषिताय श्रीआचार्यायनमः ४ श्री मधुरवाक्यगुणविभूषिताय श्रीआचार्याय नमः ५ श्री गाम्भीर्य गुणविभूषिताय श्रीआचार्याय नमः ६ श्रधैर्य सुबुद्धिगुणविभूषिताय श्रीआचार्याय नमः